अफवाहों से रहें सचेत

इष्ट देव सांकृत्यायन 

पिछले दिनों जब मैंने मंगल ग्रह के राशि परिवर्तन संबंधी पोस्ट की थी और उसके साथ ही मिडिल ईस्ट के संबंध में खास तौर से चेताया था
, तब कुछ मित्रों ने मजाक किया था। लेकिन जब बीते रविवार यानी 25 अगस्त को इजरायल पर हिजबुल्ला ने 100 से ज्यादा रॉकेट दाग दिए तो पूरा परिदृश्य बदल गया। आगे और बहुत कुछ बदल गया जब इजरायल ने लेबनॉन पर सौ से ज्यादा जेट विमानों से हमला कर दिया। फिर बची-खुची कसर पाकिस्तान, रूस और यूक्रेन की घटनाओं ने निकाल दी। भारत के भीतर बंगाल और महाराष्ट्र में जो हो रहा है, वह आप देख ही रहे हैं। इजरायल-लेबनॉन का मसला तो अमेरिकी हस्तक्षेप ने थोड़े दिनों के लिए शांत कर दिया, लेकिन आज वेस्ट बैंक में जो कुछ ताजा-ताजा इजरायल ने किया, उसने फिर से एक बार सबका भ्रम दूर कर दिया। अभी शांति के किसी भी प्रयास की क्षणिक सफलता को स्थायी समझ लेना बहुत बड़ी भूल होगी। मंगल 26 अगस्त को मृगशिरा में प्रविष्ट ही हुए ही थे। अपने ही इस नक्षत्र में अब वे आधा रास्ता तय कर चुके हैं। आगे 6 सितंबर को राहु के नक्षत्र आर्द्रा में जाएंगे। आने वाले दिनों में वह सब होगा जो कि पहले कभी नहीं हुआ।

बहरहाल, हमारी चिंता का मूल विषय हमारी अपनी मातृभूमि है। हमारे देश के लिए भी यह गोचर कुल मिलाकर कष्टप्रद ही है। देश के पूर्वी और पश्चिमी कोने पर जो कुछ हो रहा है, वह आप देख ही रहे हैं। मैं पहले ही इस बात से सचेत कर चुका हूँ कि देश में विदेशी महाशक्तियों के सहयोग से गृहयुद्ध जैसी स्थिति बन सकती है और फिलहाल विपक्ष के कुछ नेता इसमें बड़ी भूमिकाएँ निभा सकते हैं। हाल में आपने ऐसी धमकियाँ भी सुनी हैं कि भारत में भी बांग्लादेश जैसे हालात बन सकते हैं। धमकियाँ देने वाले कोई छोटे-मोटे लोग नहीं, भूतपूर्व केंद्रीय मंत्री हैं। इससे भी पहले देश को देश के ही तथाकथित बड़े नेताओं की ओर से क्या-क्या धमकियाँ मिल चुकी हैं, दुहराने की जरूरत नहीं है। इन घटनाओं और ग्रह स्थितियों को देखते हुए भारत में इस समय जिस चीज की सबसे ज्यादा जरूरत है, वह है धैर्य और स्वविवेक का प्रयोग। अफवाहों पर अगर समय रहते नियंत्रण न पाया गया तो देश के भीतर कई जगह भयावह स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।

क्योंकि अगले वर्ष भारत की मंगल की महादशा शुरू होने वाली है। चंद्रमा के पास ग्रहमंडल में दो कार्य हैं, एक तो संक्रमण के दौरान विभिन्न ग्रहों और इस तरह शासन व समाज के विभिन्न वर्गों के बीच संपर्क-संबंध बनाए रखना और दूसरा जातक के विरुद्ध चल रहे षड्यंत्रों और उसके छिपे शत्रुओं को उजागर करना, उसके हित-अहित और शत्रु-मित्र की वस्तुस्थिति को उजागर करना। चंद्रमा की महादशा 12 सितंबर 2015 से शुरू हुई है और अभी यह 11 सितंबर 2025 तक चलेगी। आप देख सकते हैं कि इस दौरान किस तरह एक-एक कर भेड़ की खाल में छिपे तमाम भेड़िये सामने आते गए हैं। यह देश के भीतर भी हुआ है और देश के बाहर भी। 2015 से पहले किसे पता था कि भारत में सबसे बड़ा जमींदार कौन है? कौन जानता था कि सीमापार के अल्पसंख्यकों के आँसू पोंछने से भी किन-किन लोगों को कितना एतराज है? किसे मालूम था कि देश में 70 सालों से सिर्फ किरोसीन छिड़का जा रहा था? कौन जान रहा था कि पाकिस्तान के साथ चीन, यूक्रेन, टर्की और केनेडा की कितनी हिस्सेदारी है?

लेकिन आज यह सारे सच उजागर हैं। दुनिया के सामने यह भी उजागर हो चुका है कि भारत की अर्थव्यवस्था कितनी तेजी से आगे बढ़ रही है। इस तेजी से किन-किन देशों को ईर्ष्या है, यह भी सभी जानते हैं। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की 2014 की सूची में दसवें स्थान पर रहा भारत आज पाँचवें स्थान पर है और बड़ी तेजी से चौथे स्थान की ओर अग्रसर है। भारतीय अर्थव्यवस्था की इस रफ्तार को रोकने के लिए ही कुछ महाशक्तियाँ नेताओं और बुद्धिजीवियों से लेकर आंदोलनजीवियों तक की फंडिंग बहुत बड़े पैमाने पर कर रही हैं। अब ये शक्तियाँ किसी से छिपी हुई नहीं रह गई हैं। भारत की लग्न कुंडली में तृतीयस्थ चंद्रमा नवांश के छठवें भाव में केतु के साथ हैं। यह नवांश सूर्य का है। चलित कुंडली में चंद्रमा का स्थान परिवर्तन नहीं हुआ है। बल्कि लग्न कुंडली में उनके साथ बैठे कई ग्रह चलित के दूसरे या चौथे भाव में चले गए हैं। पराक्रम के भाव में रहते हुए उन्होंने शत्रु भाव को पूरी तरह उजागर कर दिया। भीतरी और बाहरी दोनों ही प्रकार के शत्रु सबके सामने उजागर हो गए। भेड़ की खाल ओढ़कर घूमने वाले भेड़ियों को आम जनता बहुत अच्छी तरह पहचान गई। रही-सही कसर इस चुनाव ने पूरी कर दी जो अंगारक योग के दौरान हुआ और चंद्रमा की महादशा में शुक्र के अंतर और उसमें राहु के प्रत्यंतर ने मायावी शक्तियों को पहले तो मौका दिया और शनि के प्रत्यंतर में उन्हें उनकी वस्तुस्थिति भी बता दी। अभी यह प्रत्यंतर 11 नवंबर तक चलेगा। इस बीच कई बहुत बड़े रहस्य उजागर हो सकते हैं। हो सकता है कि कुछ बहुत बड़े राजनेताओं की कलई पूरी तरह उतर जाए। इसमें सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही के लोग हो सकते हैं। 

 

इसी 26 तारीख को जब मंगल का राशि परिवर्तन हुआ है, उस समय चंद्रमा भारत के लग्न पर ही थे। मंगल अब 20 अक्टूबर तक मिथुन में ही रहेंगे और इसके बाद भारत की चंद्रराशि में ही पहुँच जाएंगे। लग्न से देखें तो मंगल अब क्रमश: दूसरे और तीसरे भाव में होंगे और गोचर के निमित्त चंद्र से देखें तो बारहवें और पहले में होंगे। बारहवाँ व्यय का भाव है। आय तो होगी, लेकिन बड़े पैमाने पर नुकसान भी उठाना पड़ेगा। यही भाव शय्या सुख, रोग शय्या और कारावास का भी है। कुछ तो पहले से ही अंदर हैं, मंगल का यहाँ होना यह बताता है कि कुछ बड़े नेता और अधिकारी अभी और अंदर जाने वाले हैं। अभी तक ऐसे लोग बचे इसलिए थे क्योंकि मंगल बृहस्पति के साथ थे। लेकिन अब सेनापति गुरु के प्रभाव से पूरी तरह मुक्त होंगे। तो वही होगा जो सेनापति को सही लगेगा। इस अवस्था में लग्न पर राहु की दृष्टि बताती है कि विदेशी उकसावे और फंडिंग से देश के भीतर अभी उत्पात और बढ़ेगा।

सूर्य और शनि का समसप्तक भी इस आग में घी का काम करेगा। सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच कई बार गंभीर टकराव की स्थिति उत्पन्न होगी। यह अवस्था दोनों ही पक्षों के आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को मर्मांतक ठेस पहुँचाएगी। यह ठेस 15 सितंबर के बाद उस समय अहं के टकराव का रूप ले सकता है, जब सूर्य और शनि के बीच फिर से षडाष्टक बनेगा और मंगल अपने स्थान पर ही, यानी मिथुन में ही बने रहेंगे। सूर्य उस समय शनि से षडाष्टक बनाते हुए राहु की दृष्टि में भी आ जाएंगे। ऐसा लगने लगेगा कि सरकार पर संकट है। लेकिन यह सिर्फ लगेगा। राहु का काम है माया रचना। वे माया रचेंगे। लेकिन इस माया पर गुरु की अमृत दृष्टि भी होगी। यह अमृतदृष्टि माया के मकड़जाल को बहुत आसानी से साफ कर देगी।

मंगल के मृगशिरा में संचरण के इस एक सप्ताह में आसानी से देखा जा सकता है कि भारत के आसपास क्या-क्या हुआ है। बांग्लादेश में जिन लोगों ने सोचा था कि शेख हसीना को हटाकर सब कुछ अपनी इच्छानुसार कर लेंगे, वे गलत साबित हुए। हालात सुधरने के बजाय और बिगड़ते चले गए। इस आग में प्रकृति ने और घी का काम किया। उधर पाकिस्तान पर बलूचों के अलावा तालिबान का हमला भी भारी पड़ा। दोनों तरफ ये हालात अभी और बिगड़ेंगे।

भारत की आर्थिक-कूटनीतिक प्रगति से जल-भुन रहे कुछ देश भारत के भीतर बैठे अपने एजेंटों के जरिये देश के विरुद्ध विभिन्न निरर्थक बहानों से धरना-प्रदर्शन के जो नाटक कर रहे हैं, चंद्रमा की महादशा ने उनके चेहरे भी बेनकाब कर दिए हैं। लंबे समय तक धरना-प्रदर्शन चलाकर भी न तो वे कोई जन समर्थन जुटा सके और न ही किसी निष्कर्ष तक पहुँच सके। अभी तक ऐसा लगता रहा है कि सरकार सहनशीलता की सारी परीक्षाएँ उत्तीर्ण करने का संकल्प लेकर बैठी है, लेकिन आगे ऐसा नहीं रहने वाला है। मंगल के मिथुन में रहते हुए ही ये बहुरूपिये हिंसक रूप ले सकते हैं। अगर कहीं ऐसा हुआ तो उन्हें इसका जो जवाब मिलेगा, वह उनकी अब तक की आशा के बिलकुल विपरीत होगा। दुर्भाग्य से इसमें बड़ी संख्या में ऐसे निर्दोष युवाओं के हताहत होने की आशंका दिख रही है जो केवल भावुकता में इनके साथ शामिल होंगे, बिना इनकी वस्तुस्थिति को सोचे-समझे।

दूसरी तरफ, देश में ऐसे भी नेता हैं जो अपनी ही सरकार के कुकृत्यों को छिपाने के लिए खुद अपने ही खिलाफ धरना-प्रदर्शन की नौटंकी पर उतर आए हैं, जिसके लिए उनकी चौतरफा फजीहत भी हो रही है। वे देख रहे हैं कि इस नौटंकी से आमजन प्रभावित नहीं होने वाला है। मंगल जब राहु के नक्षत्र में पहुँचेंगे तो वही नेता कुछ नए पैंतरे चल सकते हैं। ये राहु के प्रभुत्व वाले सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर किसी भी तरह से अफवाहों के जरिये हिंसा फैला सकते हैं। इसलिए सोशल मीडिया पर आने वाली कैसी भी सूचना पर विश्वास करना घातक हो सकता है। इससे सभी को सचेत रहने की आवश्यकता है। ऐसी स्थिति में भ्रमजीवी नेताओं के सहधर्मी चीख-पुकार तो खूब मचाएंगे। उन्हें अपने प्रायोजक विदेशी शक्तियों का सहयोग भी मिलेगा। लेकिन उनकी चीख-पुकार के साथ-साथ विदेशी सहयोग भी किसी काम नहीं आएगा। मंगल का प्रभाव इस बार देखने को मिलेगा ही मिलेगा। अतः युवाओं से खासतौर पर अनुरोध है कि सचेत रहें। खासकर सोशल मीडिया के जरिये फैलाई जा रही अफवाहों से।

 


Comments

  1. आपसे बड़ा विद्वान् कोई हैं इस देश में 🙏 नमन हैं आपको

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