युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं का समय

इष्ट देव सांकृत्यायन

॥श्री गुरु चरण कमलेभ्यो नम:॥ 

ग्रहचाल की दृष्टि से कल का दिन बहुत महत्त्वपूर्ण है। कल से तीन ग्रह एक साथ वक्री होंगे। ये ग्रह हैं - मंगल, बुध और गुरु। राहु-केतु चूँकि हमेशा ही वक्री रहते हैं, इसलिए मेदिनीय गणनाओं के लिए वक्री ग्रहों की श्रेणी में इन्हें नहीं जोड़ा जाएगा। वक्री ग्रहों का ऐसा योग तीन दिन पहले ही अपना फल देना शुरू कर देता है और यह स्थिति बदलने के बाद भी तीन दिन आगे तक इसका प्रभाव बना रहता है। इस तरह 4 दिसंबर से लेकर 18 दिसंबर तक का समय अत्यंत संवेदनशील है। यह स्थिति पूरी दुनिया के लिए है। तीन ग्रहों का एक साथ वक्री होना पारिवारिक-सामाजिक सौहार्द बिगड़ने, युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं का संकेत देता है। कुछ पहाड़ी और समुद्रतटीय क्षेत्रों में सुनामी जैसे अत्यंत विनाशकारी भूकंप आ सकते हैं।

बात ग्रहों की करें तो गुरु और बुध पहले से ही वक्री हैं। कल मंगल भी वक्री हो जाएंगे। शुभता के कारक गुरु 9 अक्टूबर को ही वक्री हो चुके हैं और अभी 28 नवंबर से रोहिणी नक्षत्र के चौथे चरण में चल रहे हैं। गुरु 4 फरवरी 2025 तक वक्री ही रहेंगे। बुध 11 नवंबर को ज्येष्ठा नक्षत्र में आ चुके हैं और इसी बीच 26 नवंबर को सुबह 8 बजकर 11 मिनट पर वक्री हो चुके हैं। बुध का यह वक्रत्व 15-16 दिसंबर की रात 2 बजकर 25 मिनट तक बना रहेगा। इसके बाद वे मार्गी हो जाएंगे। बुध अभी ज्येष्ठा में ही हैं और 9 दिसंबर को रात में 12 बजकर 23 मिनट पर वे फिर से अनुराधा नक्षत्र में चले जाएंगे। मंगल 28 अक्टूबर 2024 को शाम 4 बजकर 24 मिनट पर पुष्य नक्षत्र में आ चुके हैं और फिलहाल पुष्य के ही तीसरे चरण में चल रहे हैं। यहीं रहते हुए मंगल 7 दिसंबर को प्रातः 5 बजकर 01 मिनट पर वक्री हो जाएंगे और उनकी यह वक्री अवस्था 24 फरवरी 2025 तक बनी रहेगी। इस तरह कल से लेकर 15 दिसंबर तक कुल तीन ग्रह वक्री रहेंगे। जबकि दो ग्रह तो 26 नवंबर से ही वक्री चल रहे हैं।

वैदिक ज्योतिष की एक महत्त्वपूर्ण कृति है बृहद्दैवज्ञरंजनम्। कई प्राचीन ऋषियों के महत्त्वपूर्ण ग्रंथों के निष्कर्ष सार रूप में प्रस्तुत करने वाली इस कृति के अनुसार दो ग्रहों का एक साथ वक्री होना राजाओं के बीच वैमनस्य, निरर्थक विरोध, युद्ध और छद्मवेशियों के प्रभाव बढ़ने जैसी परिस्थितियों को जन्म देता है। जबकि तीन ग्रहों का एक साथ वक्री हो जाना दुर्भिक्ष, भयावह प्राकृतिक आपदा, जनता में असंतोष, शासन और देश के विरुद्ध विद्रोह, अराजक तत्त्वों के सिर उठाने और उत्पात मचाने, छद्मवेशियों का प्रभाव बढ़ने, देशों के विरुद्ध षड्यंत्र और उन षड्यंत्रों में कुछ महत्त्वपूर्ण लोगों के शामिल होने, सांप्रदायिक कट्टरता एवं उसके चलते विद्वेष तथा बड़े पैमाने पर हिंसा आदि के संकेत देता है। दो ग्रहों के वक्री होने का प्रभाव हम रूस-यूक्रेन, इजरायल-फिलस्तीन-लेबनॉन, बांग्लादेश से लेकर सीरिया तक देख रहे हैं। स्कैंडिनेवियन देशों में लोग भविष्य में रहने के लिए बंकर दुरुस्त करने में लगे हुए हैं। उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच जो चल रहा है, उसका असर अब दिखाई देने लगा है। इधर चीन और ताइवान का संघर्ष भी फिर से सतह पर आने लगा है। भारत के खिलाफ इस्तेमाल के लिए जिस तरह बांग्लादेश को तैयार किया जा रहा है, उसमें भी इस ग्रहस्थिति की बड़ी भूमिका है।

[बांग्लादेश पर कई मित्रों ने मुझसे प्रश्न किए हैं। वहाँ हालात बहुत बिगड़ते दिख रहे हैं। इस पर अभी काम कर रहा हूँ। जल्दी ही विस्तार से लिखूंगा।]    

 

तीन ग्रहों की वक्री चाल, जो कल से शुरू हो रही है, यह स्थिति अभी 15 दिसंबर तक चलेगी। जैसा कि पहले ही कह चुका हूँ, यह ग्रहस्थिति भयावह प्राकृतिक आपदा, खासकर भूकंप के अलावा शासन और देश के खिलाफ विद्रोह, अराजक तत्त्वों के सिर उठाने और उत्पात मचाने, छद्मवेशियों का प्रभाव बढ़ने, देशों के विरुद्ध षड्यंत्र और इन षड्यंत्रों में उन्हीं देशों के कुछ महत्त्वपूर्ण लोगों के शामिल होने के संकेत देती है। मंगल के नाते इसका प्रभाव क्षेत्र दक्षिण, बुध के नाते उत्तर और गुरु के कारण पूरब दिख रहा था। चूँकि वक्री ग्रहों में दो मंगल और गत बुध शनि के नक्षत्रों में होंगे, इसलिए पश्चिम भी। कालपुरुष की कुंडली में मंगल अभी चौथे भाव में हैं, जबकि शनि 11वें भाव में। उत्तर और दक्षिण-पूर्व की दिशा में भूकंप या समुद्री तूफान को लेकर अधिक सचेत रहने की जरूरत है। यह बात देशों और विश्व दोनों ही स्तर पर होगी। यह देश और दुनिया दोनों ही स्तरों पर बरती जानी चाहिए।

 

सोमवार-मंगलवार को जब मैं टुकड़े-टुकड़े में ये गणनाएँ कर रहा था तब यह समझ नहीं पा रहा था कि दक्षिण में भूकंप की आशंका कहाँ हो सकती है। खासकर भारत के संदर्भ में भूगर्भशास्त्रीय दृष्टि से दक्षिण का कोई क्षेत्र सीस्मिक ज़ोन में आता हो, ऐसा मुझे नहीं मालूम। तब तक कल यह सूचना मिली कि तेलंगाना में भूकंप के तेज झटके। महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में भी धरती काँपी। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.3 नापी गई। तेलंगाना भारत का दक्षिण पूर्वी भाग ही है। अभी थोड़ी देर पहले मालूम हुआ कि आज ही सुबह कैलीफोर्निया में भी भूकंप आया। अत्यंत विध्वंसक। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 7.0 मापी गई।

मंगल पुष्य नक्षत्र में विचरण कर रहे हैं। इस नक्षत्र के स्वामी शनि हैं। शनि स्वयं अभी कुंभ राशि में हैं और मंगल कर्क राशि में। दोनों के बीच षडाष्टक बन रहा है। इसलिए तेलंगाना और कैलिफोर्निया के भूकंप को अंतिम न माना जाए। असल में यह शुरुआत है। छह-आठ का यह संबंध और पुष्य में मंगल का वक्री होना बड़े परिणाम लेकर आएगा। मंगल का उदय जनवरी 2024 में पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में हुआ था। वहाँ से यह सोलहवें नक्षत्र में वक्री हो रहे हैं। बृहत्संहिता के भौमाचार अध्याय में इसे रुधिरानन वक्र कहा गया है। यह ग्रहचाल प्रजा में बड़े पैमाने पर रक्तपात, भय, रोग, वैमनस्य और प्राकृतिक आपदाएँ लाती करती है। साथ ही राष्ट्रों या राजाओं के बीच युद्ध की परिस्थितियों को भी जन्म दे सकती है।

मंगल अभी अपनी नीच राशि में हैं। कहते हैं कि नीच का ग्रह जब वक्री हो जाता है तो उसका नीचत्व भंग हो जाता है। लेकिन साथ ही यह भी माना जाता है कि वक्री होने पर शुभ ग्रह अति शुभ हो जाता है, लेकिन क्रूर ग्रह अति क्रूर। क्रूरता के मामले में मंगल की बराबरी कोई ग्रह नहीं कर सकता। इसलिए दुनिया भर में क्रूरता और अधीरता में वृद्धि होगी। बहुत बड़े-बड़े लोग जिन्हें दुनिया आम तौर पर समझदार मानती है, व्यग्रता या अधीरता के शिकार होकर बड़ी नासमझी वाले काम करेंगे। वहीं बुध का वक्रत्व कुछ भेड़ियों से भेड़ का अभिनय कराएगा। छद्मवेशी नेता जनता की भलाई के नाम पर केवल अपने स्वार्थ साधन के लिए जनजीवन को ठप करने और विद्रोह जैसी परिस्थितियाँ उत्पन्न करने की कोशिश करेंगे। ऐसे नेता इस दौरान अशांति फैलाने की साजिश रच सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे, अकेले मंगल और बुध के साथ-साथ बृहस्पति भी वक्री हैं। जनता के हित का नाटक रच रहे नेताओं पर उनकी अपनी ही चाल उलटी पड़ सकती है। इसका ट्रेलर भी इसी बीच दिल्ली में ही देखा जा चुका है।

मंगल का वक्री होना दुनिया में संतुलन को बिगाड़ेगा। ग्रहों की अभी जो स्थिति है, उसमें राहु की पूर्ण दृष्टि मंगल और मंगल की पूर्ण दृष्टि शुक्र पर है। युद्ध और दुर्घटनाएँ तो बढ़ेंगी ही, लिंग आधारित सामंजस्य भी बिगड़ेगा। पारिवारिक कलह, वैमनस्य और तथाकथित प्रेम या दांपत्य संबंधों में स्त्रियों के विरुद्ध बीभत्स हिंसा की घटनाएँ घट सकती हैं। यही नहीं, अंतरंग रिश्तों में पुरुषों के प्रति ऐसा ही क्रूरतापूर्ण रवैया स्त्रियों का भी देखने को मिल सकता है। कुछ ऐसे सेक्स स्कैंडल्स का खुलासा भी हो सकता है, जिसमें कुछ जाने-माने लोगों के मान-सम्मान का कल्याण हो सकता है।

वक्री ग्रह बली तो होते ही हैं, अप्रत्याशित और आकस्मिक परिणाम देने के लिए भी जाने जाते हैं। जब एक साथ कई ग्रह वक्री हो जाएँ तो स्थितियों का ठीक-ठीक पूर्वानुमान लगाना बहुत कठिन हो जाता है। दुनिया के साथ-साथ लोगों का व्यक्तिगत जीवन भी प्रभावित होगा। वक्री होने वाले ये तीनों ही ग्रह दो-दो राशियों के स्वामी हैं। इस तरह कुल छह राशियाँ इससे अधिक प्रभावित होंगी। प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली के छह घर प्रभावित होंगे। इनमें भी चूँकि मंगल और गुरु के पास तीन-तीन दृष्टियाँ हैं तो दो-दो घर और जोड़ लें। यानी प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली के कुल दस घर प्रभावित होंगे। लेकिन इससे आशंकित होकर अपना मन खराब करने की जरूरत नहीं है। ज्योतिष आलस्य और किंकर्तव्यविमूढ़ता का नहीं, कर्म और उसके फल में विश्वास करते हुए समय की गति को समझने का विज्ञान है। जीवन में शांति बनी रहे, इसके लिए श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ एक उत्तम उपाय है।


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