व्यंग्य संग्रह ‘अंधे पीसें...’
Andhe Pisen... : अंधे पीसें... मुखपृष्ठ |
मेरे लिए यह प्रसन्नता का विषय
है कि मेरा तीसरा व्यंग्य संग्रह ‘अंधे पीसें...’ सर्व भाषा ट्रस्ट से प्रकाशित
होकर आ चुका है। इसमें पिछले 2-3 वर्षों में लिखे व्यंग्यों का संग्रह है,
जिसमें कुल 35 व्यंग्य सम्मिलित हैं। समाज, सत्ता एवं मानवीय विसंगतियों के इर्द-गिर्द घूमते ये
व्यंग्य अपने लक्ष्य का संधान करते हुए बेहतर व्यवस्था और समाज की अप्रकट कामना रखते
हैं, जो गुदगुदाने की अपेक्षा जगाने के लिए लिखे गए हैं।
यह संग्रह 128 पृष्ठों का है, जिसके पेपर बैक संस्कारण का मूल्य रु॰ 200/ है। सर्व भाषा ट्रस्ट के निदेशक श्री केशव
मोहन पांडेय जी ने सूचित किया है कि यह पुस्तक अमेज़ॅन पर भी रु॰179/ में उपलब्ध है।
विश्व पुस्तक मेले में नई पुस्तक का आगमन से प्रसन्नता तो होती है।
यह संग्रह विश्व
पुस्तक मेला दिल्ली (1-9 फरवरी, 2025) में सर्व भाषा ट्रस्ट के स्टॉल (हॉल नंबर 2&3, स्टॉल नंबर L- 18) पर उपलब्ध रहेगा। सर्व भाषा ट्रस्ट के निदेशक श्री
केशव मोहन पांडेय जी को धन्यवाद। अमेज़ॅन का लिंक नीचे दिया जा रहा है।
Andhe Pisen...Amazon Link : अंधे पीसें.॥ अमेज़ॅन लिंक
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