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गुटनिरपेक्षता की नीति और ईरान का साथ

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  इष्ट देव सांकृत्यायन ईरान और इजराइल के बीच चल रहे युद्ध का मसला अभी हल नहीं हुआ , लेकिन ईरान ने भारत से मिले समर्थन और शांति प्रयासों में भागीदारी के लिए आभार जता दिया। क्या यह एक थोथी औपचारिकता भर है ? इसके पहले कि इस तथ्य का विश्लेषण किया जाए , मैं आपको यह याद दिला देना जरूरी समझता हूँ कि कुछ ही दिनों पूर्व सोनिया गांधी ने ईरान के विरुद्ध होने को लेकर भारत सरकार की भर्त्सना की थी और स्पष्ट शब्दों में कहा था कि भारत की विदेश नीति अब ‘ नॉन एलाइंड ’ से ‘ ऑल एलाइंड ’ हो चुकी है। अपने को ‘ निष्पक्ष ’ बताने वाले कुछ पत्रकार और प्रोफेसर भी किंतु-परंतु के साथ ऐसा ही कुछ कर चुके थे। गाजियाबाद से प्रकाशित दैनिक 'अथाह' में  एक अखबार में तो एक पत्रकार और प्रोफेसर ने मिलकर एक पूरा पन्ना रंग डाला था , यह बताने पर कि ईरान पर हुई बमबारी का दुष्परिणाम भारत को भुगतना पड़ेगा , पछुआ हवाओं के चलते। ये चेरनोबिल बनने जा रहा है। यह अलग बात है कि दोनों को यह पता तक नहीं कि भारत में पछुआ हवाएँ चलती कब हैं और कितने दिन। हाँ , बस ये है कि अखबार का एक पन्ना अपनी बकवास से रंगकर उन्होंने अपनी मोदी व...

ये हादसों का दौर है, सँभलकर चलें

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॥श्री गुरुचरण कमलेभ्यो नमः॥  मंगल 7 जून को सिंह राशि में आ गए हैं और 28 जुलाई तक यहीं बने रहेंगे। केतु वहाँ पहले से ही मौजूद हैं।   शनि मीन राशि में हैं , मंगल और केतु के साथ षडाष्टक बना रहे हैं। स्वाभाविक रूप से राहु से उनका द्विद्वादश संबंध बन रहा है। इसके बावजूद शनि थोड़े नियंत्रण में हैं। क्योंकि उन पर मिथुन में स्थित गुरु की दृष्टि है। यद्यपि इस समय गुरु स्वयं अस्त हैं और अतिचारी तो हैं ही। राहु उनकी दृष्टि से भी ओझल हैं और हों भी तो ऐसी स्थिति में राहु पर गुरु की दृष्टि बहुत प्रभावी नहीं होगी। एयर इंडिया विमान हादसा , ईरान पर आक्रमण , कंटेनर शिप में आग लगना और कई जगहों पर आगजनी की छिटपुट घटनाएँ जो हो चुकीं , उनके चलते जन-धन की जो क्षति हुई , उस पर अब केवल दुख जताया जा सकता है। उस क्षति की भरपाई किसी भी तरह नहीं की जा सकती। लेकिन आगे भी अभी बहुत सचेत रहने की जरूरत है। खासकर 28 जुलाई तक। सचेत इसलिए रहना चाहिए क्योंकि यह अंतिम नहीं है। भविष्य के गर्भ में अभी और भी कई अप्रिय घटनाएँ हैं। मंगल और केतु की युति जब तक है ,  तब तक बहुत सचेत रहना चाहिए। इस युति को अत्यंत अ...

शुरू हो चुका है अमेरिका का बुरा दौर

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॥श्री गुरु चरण कमलेभ्यो नमः ॥ आज लॉस एंजलिस में जो हो रहा है , वह कुछ लोगों के लिए आश्चर्यजनक हो सकता है , लेकिन मुझे इस पर कतई आश्चर्य नहीं है। पिछले दो ग्रहणों से लेकर अमेरिका की जन्मकुंडली तक के विश्लेषण से यही पता चलता है कि अमेरिका की नियति का सबसे बुरा दौर शुरू हो चुका है। यह बात मैं पहले ही कह चुका हूँ कि इसकी शुरुआत प्राकृतिक आपदा से होगी और प्रशांत महासागर के आसपास वाले क्षेत्रों से ही होगी। वही हुआ। हॉलीवुड , जो कि लॉस एंजलिस का ही एक हिस्सा है और प्रशांत महासागर की हा तटवर्ती है , महीनों तक पहले जंगल की आग और फिर बाढ़ ने वहाँ तबाही मचाई। बाद में अमेरिका में कई जगह भूकंप भी आए। प्राकृतिक आपदाओं का दौर अभी खत्म नहीं हुआ है। इसके पहले ही दंगे शुरू हो गए। ये दंगे भी व्यापक रूप लेते दिख रहे हैं। मैंने अमेरिकी चुनाव से ठीक पहले ही कहा था कि नया राष्ट्रपति डीप स्टेट के प्यादे से ज्यादा कुछ नहीं होगा। हालाँकि तब मेरे कई निकट मित्रों को ऐसा लगा था कि ट्रंप हार जाएंगे। शायद बाइडेन फिर से जीत जाएँ। कई लोगों ने यह बात कही भी थी और मैंने मना नहीं किया था। मैंने मना इसलिए नहीं किया था क्यो...

जवाबी कार्रवाई अतिशीघ्र

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॥श्री गुरु चरण कमलेभ्यो नमः॥ सिकुलरिज्म को तो भारत में सिक मेंटलिटी माना ही जा चुका है और जो हर हाल में देश के दुश्मनों के ही साथ हैं , उनकी बात भी छोड़ दीजिए। इनके अलावा बात करें तो जैसा रोष पहलगाम हमले के बाद देखा जा रहा है , वह अभूतपूर्व है। मैंने अपने होश में कभी लोगों में ऐसा गुस्सा नहीं देखा। दिल्ली और उत्तर प्रदेश में आज कई जगहों पर लोगों ने प्रतीकात्मक रूप से स्वतःस्फूर्त दुकानें बंद रखीं। कैंडल मार्च निकाले गए और पाकिस्तान एवं आतंकवाद विरोधी नारेबाजी की गई। यह सारा क्रम मैंने उत्तर प्रदेश में तो कल भी देखा था। वही आज फिर। आमजन बहुत चीख-चीख कर बदले की कार्रवाई की माँग कर रहा है। और यह माँग बहुत जल्दी ही पूरी होने जा रही है। यह भी कह दूँ कि इस बार की कार्रवाई पिछली दोनों ही कार्रवाइयों से बिलकुल भिन्न होगी। दुनिया कल्पना नहीं कर सकती कि ऐसे भी की जा सकती है जवाबी कार्रवाई। मैं हमले के समय और एक मित्र के पूछने पर प्रश्न कुंडली दोनों के जरिये यह विश्लेषण कर चुका हूँ। जवाब का समय अत्यंत निकट है। यह कह देना भी जरूरी समझता हूँ कि यह कार्रवाई थोड़ी लंबी खिंचेगी। यह तब तक जाएगी जब ...

शनि राहु युति के परिणाम

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इष्ट देव सांकृत्यायन   श्री गुरुचरणकमलेभ्यो नमः   आज 29 मार्च से शनि भी वहीं आ जाएंगे जहाँ राहु , बुध , शुक्र , सूर्य , चंद्र और नेप्चून पहले से बैठे हैं। शनि तो आज 29 मार्च की रात 10.07 बजे मीन राशि में आएंगे , इसके पहले ही आज ही शाम 4 बजकर 47 मिनट पर चंद्रमा भी वहीं पहुँच गए हैं। इस तरह देखें तो षड्ग्रही नहीं सप्तग्रही योग बन रहा है। षड्ग्रही योग कोई ऐसी घटना नहीं है जो दस-बीस सहस्राब्दियों में एक बार बनती हो। यह हर दो-तीन दशक में एक बार बन जाती है। निश्चित रूप से इसमें कुछ महत्त्वपूर्ण घटनाएँ होती हैं , लेकिन ऐसा नहीं है कि इससे कोई महाप्रलय हो जाए , जैसा कि आजकल ज्योतिष के नाम पर कुछ लोग बता रहे हैं। इस पर विस्तृत चर्चा फिर कभी। अभी मैं केवल उस युति की बात करने जा रहा हूँ जिसे लेकर मीडिया और सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने अजब-गजब बातें फैला दी हैं और ज्योतिष को थोड़ा-बहुत जानने और एक विद्या के रूप में इसमें आस्था रखने वाले लोग आशंकाओं के शिकार हो गए हैं।   खासकर आज ही से शुरू होने जा रही अन्य ग्रहों के साथ राहु-शनि की युति को लेकर कुछ लोग बड़ी भयावह बातें कर रहे...

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