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भारत पर ग्रहण का प्रभाव नहीं, अत्यंत शुभ है नवरात्र

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इष्ट देव सांकृत्यायन  ॥श्री गुरुचरणकमलेभ्यो नम:॥ ‘ सूर्य ग्रहण की अशुभ छाया में कल शुरू होगी शारदीय नवरात्र ’ यही शीर्षक है एक स्वनामधन्य न्यूज चैनल के स्वनामधन्य वेब पोर्टल पर दिए गए नवरात्र घटस्थापना संबंधी सूचनात्मक आलेख का। वही नहीं , कई अखबारों के पोर्टल भी ऐसा ही कुछ शीर्षक घुमा-फिरा कर लोगों का ध्यान खींचने के लिए लगाए हुए हैं। सुबह जब मैंने व्हाट्सएप पर ग्रहण और नवरात्र को लेकर कुछ मित्रों का प्रश्न देखा तब तक मुझे यह नहीं लगा था ऐसे प्रश्न मीडिया द्वारा फैलाए गए भ्रम के परिणाम हैं। मेरा ध्यान इस मुद्दे पर तब गया जब खबरें देखनी शुरू कीं। ग्रहण को लेकर ऐसे-ऐसे भ्रम फैलाए जा रहे हैं जो कहीं से भी तर्कसम्मत नहीं हैं। जो ग्रहण भारत में दृश्य ही नहीं है , उसका कैसा सूतक और क्या प्रभाव! लेकिन यूट्यूब से लेकर टीवी चैनलों और कई अखबारों तक में उसका राशिफल और परिहार आदि बताए जाने का क्या तुक है ? और अब खींचकर उसे नवरात्र तक ले जाने की धृष्टता!! हद है। वह माँ जिसके लिए कहा गया – यस्या: प्रभावमतुलं भगवाननन्तो   ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तुमलं बलं च। सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालन...

एच-1 बी वीजा फीस बढ़ोत्तरी बनाम अमेरिकी अर्थसंकट

इष्ट देव सांकृत्यायन एच 1 - बी वीजा की फीस जिस तरह बढ़ाई गई है, यह थोड़े दिन समस्या का कारण भले बन रही हो। लेकिन वास्तव में इसे लेकर भारतीयों को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। यह दाँव अंततः अमेरिका पर ही उल्टा पड़ने जा रहा है। अभी मरी हुई अमेरिकी अर्थव्यवस्था को संजीवनी बूटी सुंघाने जैसा एक टोटका है। बिलकुल वैसे ही जैसे कि 50% टैरिफ वाला टोटका। न वह टोटका काम आया और न ये टोटका काम आएगा। ट्रंप जी को शायद कोई निर्मल बाबा मिल गए हैं, अपनी मर चुकी अर्थव्यवस्था को फिर से जिंदा करने के लिए टोटके बताने वाले। अमेरिकी निर्मल बाबा की हालत भी शायद बिलकुल अपने निर्मल बाबा जैसी है। न तो उन्हें ज्योतिष आती है, न तंत्र और न ही मनोविज्ञान। बस मीडिया के जरिये एक हाइप क्रिएट की और बन गए बाबा। अपने निर्मल बाबा समोसे के साथ हरी चटनी या गोलगप्पे के साथ मरून कलर वाली चटनी में किरपा अटकी बताते थे। अमेरिका में चटनी तो होती नहीं, तो इनके निर्मल बाबा कभी टैरिफ में किरपा अटका देते हैं और कभी वीजा फीस में। मालूम उन्हें भी है कि होना इससे कुछ नहीं है, पर संकट में फंसे चेले ने पूछा है तो बताना तो कुछ न कुछ पड़ेगा ह...

नेपाल के घटनाक्रम

  टाइम मैगज़ीन के प्रभावशाली नेताओं की सूची हिंदी के अत्यंत प्रभावशाली और लोकप्रिय लेखकों की सूची से जरा भी अलग नहीं है। ● नेपाल जैसे छोटे देश के किसी युवा नेता का टाइम मैगज़ीन के तथाकथित प्रभावशाली नेताओं की सूची में शामिल होने का मतलब ही है सीआईए का कठपुतली होना। ● भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन सीआईए का सबसे प्रिय और time tested formula है। NGO सबसे सुरक्षित हथियार। सीआईए को खर्च करना पड़ता है सिर्फ पैसा। ● यह पैसा NGO के मार्फ़त हर उस जगह बंटता है, जहाँ से सत्ता और व्यवस्था को प्रभावित किया जाता है। ऐसी अराजकता अचानक नहीं फैलती। यह सुनियोजित होती है और बोरसी की आग की तरह धीरे धीरे सुलगाई जाती है। फिर एक दिन मीडिया का निर्मम इस्तेमाल करके इसमें पेट्रोल से लेकर स्पिरिट तक सब डाल दिया जाता है। ● भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन वास्तव में वास्तव में भ्रष्टाचार के जरिये ही होता है। परम भ्रष्ट और रीढ़विहीन आदमी को इसमें राजा हरिश्चंद्र बनाकर पेश किया जाता है। सब हो जाने और कठपुतली बैठ जाने के दो-चार साल बाद पता चलता है कि बेचारा भ्रष्टाचार, जिसे हम खत्म करने चले थे, वो तो कई लाख गुना और ज्यादा बढ़ गय...

इतना भी अशुभ नहीं होगा ग्रहण

  इष्ट देव सांकृत्यायन   ॥श्री गुरु चरण कमलेभ्यो नमः॥ यद्येकस्मिन् मासे ग्रहणं रविसोमयोस्तदा क्षितिपाः। स्वबलक्षोभैः संक्षयमायांत्यतित्यतिशस्त्रकोपश्च॥ अर्थात यदि एक ही मास में सूर्य और चंद्र दोनों का ग्रहण हो तो अपनी-अपनी सेनाओं में हलचल मच जाने से या शस्त्रप्रहार से राजाओं का नाश होता है।   यह महर्षि वराहमिहिर कृत बृहत्संहिता के राहुचाराध्यायः का 26वाँ श्लोक है। कल एक मित्र ने बताया कि कोई दैवज्ञ ऐसा कह रहे हैं कि देश की सेनाओं में हलचल मच जाएगी। युद्ध तो होगा ही होगा , सरकार भी पलट जाएगी। मैंने दैवज्ञ जी को सुनने की जरूरत नहीं समझी। कौन सुने और क्यों ही सुने! आजकल सोशल मीडिया पर दैवज्ञ लोगों की बाढ़ हुई है। 56 साल के युवा नेता वाले देश में 20-30 साल के व्यापारधर्मा विद्वान अपने को खुद ही सद्गुरुदेव कह रहे हैं , जिन्हें कभी किसी सद्गुरु का दर्शन तक नहीं हुआ और रोज विज्ञापन पर विज्ञापन और व्हाट्सएप दर व्हाट्सएप ठेले जा रहे हैं कि बस हमसे अभिये मोक्ष की दीक्षा ले लो , नहीं तो टेम बीता जा रहा है। ऐसे ही कोई दैवज्ञ रहे होंगे और कहीं किसी अपने को पोलिटिकल कहने वाले गि...

श्रीमान हमलावर की माँ

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इष्ट देव सांकृत्यायन  हमलावर की माँ कितनी अच्छी माँ हैं! कितनी भली माँ हैं! कितनी समझदार और कितनी भोली-भाली माँ हैं! शायद उन्हें लगता है कि पूरी दुनिया इतनी ही भोली भाली माँ हैं। उन्होंने यह तो बता दिया कि बेटा पशुप्रेमी है और कुत्तों को शेल्टर में भेजने के फैसले से दुखी था। लेकिन यह नहीं बताया कि वह किस गिरोह का गुर्गा है और किसके इशारे पर दिल्ली की मुख्यमंत्री की हत्या करना चाह रहा था। वह कैसा पशुप्रेमी है कि उसे यह नहीं पता है कि यह फैसला दिल्ली की मुख्यमंत्री ने नहीं, सुप्रीम कोर्ट के एक मी लॉर्ड ने की है और मी लॉर्ड किसी और कि ओर से दाखिल की गई याचिका पर नहीं, सुओ मोटो यानी स्वतः संज्ञान लेकर यह काम किया है। उस सुप्रीमकोर्ट में जहां लाखों मुकदमों पर सैकड़ों साल से सिर्फ तारीखें दी जा रही हैं। ऐसे मुकदमों पर जिनमें गरीब लोग खाने बिना मर रहे हैं। लेकिन ये मसला उन्हें जरूरी नहीं लग रहा। क्योंकि शायद दूसरी तरफ से फाइलों पर बड़ा भार आ गया है। लेकिन यह स्वतः संज्ञान बड़ा जरूरी था। इस फैसले के खिलाफ मैं भी हूँ और केवल इसीलिए कुछ लोग मुझे कुत्ताप्रेमी समझ बैठे। अगर यह कुत्ताप्रेमी होना ...

आपदाओं के दुष्चक्र में फँस रहा अमेरिका-2

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इष्ट देव सांकृत्यायन [गतांक से आगे] ॥श्रीगुरुचरणकमलेभ्यो नम:॥ आपदाओं के दुष्चक्र में फँस रहा अमेरिका-1 वही दौर 2015 में फिर से शुरू हुआ। 2015 तक अमेरिका एक महाशक्ति बन चुका था। 2015 में राष्ट्रपति के रूप में अमेरिका के पास एक सधा हुआ व्यक्ति था – बराक ओबामा। लेकिन याद करें तो आप पाएंगे कि टोर्नाडो , मेगा सुनामी , फ्लैश फ्लड और भूस्खलन की घटनाओं ने उस साल अमेरिका को एक तरह से घुटनों पर ला दिया था। इसकी शुरुआत भी दावानल से ही हुई थी और यह आग भी कैलिफोर्निया से ही शुरू हुई थी। 2015 के बाद से ऐसा एक भी साल नहीं है जब प्राकृतिक आपदाओं में बड़े पैमाने पर लोगों की जान न जा रही हो। कोरोना की रोकथाम में उनकी व्यवस्था पूरी तरह विफल सबित हुई। यह धौंसबाज अमेरिकी प्रशासन के लिए शर्म से डूब मरने वाली बात है। तब अमेरिका के राष्ट्रपति यही ट्रंप महाशय थे। 2020 में अर्थव्यवस्था की हालत यह हो गई थी कि इनका जीडीपी ग्रोथ रेट माइनस में चला गया था। अशिक्षा , महंगाई और बेकारी बेतहाशा बढ़ी है। फिस्कल डेफिसिट हर साल बढ़ रही है। राष्ट्रीय ऋण का हाल भी यही है। अमेरिका के कई राज्यों की हालत बद से बदतर होती गई है। ख...

आपदाओं के दुष्चक्र में फँस रहा अमेरिका-1

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  इष्ट देव सांकृत्यायन ॥श्रीगुरुचरणकमलेभ्यो नम:॥ गुरु के अतिचारी होने के साथ ही ज्योतिषी बड़े बदलावों की घोषणा करने लगे थे। कोई विश्व व्यवस्था में बदलाव की बात कर रहा है तो कोई प्रलय की। आज की दुनिया में अमेरिका की एक बड़ी हैसियत है। विश्व व्यवस्था में अगर कोई बदलाव होता है तो अमेरिका केंद्रीय भूमिका में न हो , यह हो ही नहीं सकता। यह अलग बात है कि आने वाले समय में वह हाशिये पर चला जाए , पर आज उसकी उपेक्षा करके हम विश्व-व्यवस्था संबंधी किसी भी प्रक्रिया को नहीं देख सकते। इसलिए जरूरी है कि एक बार मेदिनी ज्योतिष की दृष्टि से अमेरिका के प्रारब्ध पर विचार किया जाए। ध्यान रहे , मेदिनी ज्योतिष समष्टि चेतना के विश्लेषण की व्यवस्था है। इसके लिए व्यक्ति नहीं , समूह महत्त्वपूर्ण होता है। वह समूह देश , राज्य , शहर , संगठन या गाँव के रूप में भी हो सकता है। पिछले साल जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव चल रहे थे , तब मैंने एक लेख लिखा था। मैंने उसमें चार निष्कर्ष दिए थे – ·         नया राष्ट्रपति जो भी हो , वह अपने फैसले खुद नहीं ले सकेगा। बहुत हद तक संभावना...

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