बेटी पन्ना धाय की
कदम-कदम पर
शिखर बने हैं
शिखरों पर सिंहासन,
हर सिंहासन पर
सज-धज कर
चढ़ी है
देवी न्याय की.
अग्नि परीक्षा को तत्पर
बेटी पन्ना धाय की.
दोनों आंखों पर
पट्टी बांधे
हाथों में लिए
तराजू .
ख़ून भरा
पलड़ा ऊपर है
दबा है
जिसमें काजू .
माननीय भैंसा जीं के
अभिवादन में -
सभी दफाओं से
लिख दीं
हमने सांसत गाय की.
अग्नि परीक्षा को तत्पर
बेटी पन्ना धाय की.
सारे मेंढक
व्हेल बन गए
अब जाएँगे
समुद्र देखने.
महामहिम भी आएंगे
राग ललित में
रेंकने.
रंगे सियारों
का दावा है
इस जंगल की
अब
वही करेंगे
नायकी.
अग्नि परीक्षा को तत्पर
बेटी पन्ना धाय की.
इष्ट देव सांकृत्यायन
शिखर बने हैं
शिखरों पर सिंहासन,
हर सिंहासन पर
सज-धज कर
चढ़ी है
देवी न्याय की.
अग्नि परीक्षा को तत्पर
बेटी पन्ना धाय की.
दोनों आंखों पर
पट्टी बांधे
हाथों में लिए
तराजू .
ख़ून भरा
पलड़ा ऊपर है
दबा है
जिसमें काजू .
माननीय भैंसा जीं के
अभिवादन में -
सभी दफाओं से
लिख दीं
हमने सांसत गाय की.
अग्नि परीक्षा को तत्पर
बेटी पन्ना धाय की.
सारे मेंढक
व्हेल बन गए
अब जाएँगे
समुद्र देखने.
महामहिम भी आएंगे
राग ललित में
रेंकने.
रंगे सियारों
का दावा है
इस जंगल की
अब
वही करेंगे
नायकी.
अग्नि परीक्षा को तत्पर
बेटी पन्ना धाय की.
इष्ट देव सांकृत्यायन
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