किया क्या जाए

जिंदगी का यदि यही सत्य है तो किया क्या जाए.
यहाँ पेय ही पथ्य है तो पिया क्या जाए.
रात का सिलसिला दिन और फिर रात से -
काल का यदि यही व्रत्य है तो किया क्या जाए.
इष्ट देव सांकृत्यायन

Comments

  1. बहुत ही अच्छी रचना

    ReplyDelete
  2. एक आदर्श क्षणिका..

    *** राजीव रंजन प्रसाद

    ReplyDelete

Post a Comment

सुस्वागतम!!

Popular posts from this blog

रामेश्वरम में

इति सिद्धम

Most Read Posts

रामेश्वरम में

Bhairo Baba :Azamgarh ke

इति सिद्धम

Maihar Yatra

Azamgarh : History, Culture and People

पेड न्यूज क्या है?

...ये भी कोई तरीका है!

विदेशी विद्वानों के संस्कृत प्रेम की गहन पड़ताल

सीन बाई सीन देखिये फिल्म राब्स ..बिना पर्दे का