अधिकार तुम्हारा
तन तो मेरा है
लेकिन
मन पर अधिकार
तुम्हारा है.
मेरी साँसों में सुरभित,
तेरी चाहत का चंदन है.
कहने को तो
ह्रदय हमारा,
पर
इसमें तेरी धड़कन है.
तेरी आंखों से
जो छलके है
वो प्यार हमारा है.
मेरे शब्द गीत के
रखते
तेरी पीड़ा के स्पंदन,
कलिकाएं ही
अनुभव करतीं
भ्रमरों के
वो कातर क्रन्दन.
मैं वो मुरली की धुन हूँ
जिसमें गुंजार तुम्हारा है.
चाह बहुत है मिलने की
अवकाश नहीं मिलता है
दोष नियति का भी कुछ है
जो साथ नहीं मिलता है.
सोम से शनि
तक मेरा है
लेकिन इतवार तुम्हारा है.
विनय स्नेहिल
लेकिन
मन पर अधिकार
तुम्हारा है.
मेरी साँसों में सुरभित,
तेरी चाहत का चंदन है.
कहने को तो
ह्रदय हमारा,
पर
इसमें तेरी धड़कन है.
तेरी आंखों से
जो छलके है
वो प्यार हमारा है.
मेरे शब्द गीत के
रखते
तेरी पीड़ा के स्पंदन,
कलिकाएं ही
अनुभव करतीं
भ्रमरों के
वो कातर क्रन्दन.
मैं वो मुरली की धुन हूँ
जिसमें गुंजार तुम्हारा है.
चाह बहुत है मिलने की
अवकाश नहीं मिलता है
दोष नियति का भी कुछ है
जो साथ नहीं मिलता है.
सोम से शनि
तक मेरा है
लेकिन इतवार तुम्हारा है.
विनय स्नेहिल
प्रेरक रचना है. इतवार सचमुच तुम्हारा है!
ReplyDeleteवाकई में प्रेरक है
ReplyDelete