समझती नहीं
एक दिन मेरे एक बहुत पुराने दोस्त मेरे घर आए. बचपन के साथी थे तो बड़ी देर तक बातें होती रहीं. कई यार-दोस्तो के चर्चे हुए. अब बातें तो बातें हैं, उनका क्या? जहाँ चार अच्छी बातें होती हैं, दो डरावनी बातें भी हो ही जाती हैं. तो बातें चली और यार-दोस्तो से होते हुए बीवियों तक भी आ गईं. दोस्त ने बताया कि मेरी बीवी तो यार अपने आप से ही बातें करती है.
' अपने आप से बातें तो मेरी बीवी भी करती है, पर वह इस बात को समझती नहीं है. उसे लगता है कि मैं सुन रहा हूँ.' मैंने उन्हें बताया.
' अपने आप से बातें तो मेरी बीवी भी करती है, पर वह इस बात को समझती नहीं है. उसे लगता है कि मैं सुन रहा हूँ.' मैंने उन्हें बताया.
अरे भाई मेरी बीवी ब मुझ से बात करती है, तो मैं सोचता अपने से बोल रही है।
ReplyDeleteसच कह रहे हो भाई… यह तो मात्र प्रक्षेपण होता है…।सत्य कुछ भी नहीं!
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