जालिब की गज़लें

हबीब जालिब वाली पोस्ट पर प्रतिक्रिया करते हुए उड़न तश्तरी वाले भाई समीर जी ने अनुरोध किया है कि हो सके कुछ पूरी कविताएँ पढ़वाएं. वैसे उनकी एक कविता 'पाकिस्तान का मतलब क्या' पहले ही इयत्ता पर पोस्ट की जा चुकी है. यहाँ मैं जालिब साहब की कुछ गजलें दे रहा हूँ, जो मुझे. बहुत पसंद आईं.

......गली में ना आएं हम

ये और बात तेरी गली में ना आएं हम
लेकिन ये क्या कि शहर तेरा छोड़ जाएँ हम
मुद्दत हुई है कू-ए-बुताँ की तरफ गए
आवारगी से दिल को कहाँ तक बचाएं
हम शायद बाक़ैद-ए-ज़ीस्त ये साअत ना आ सके
तुम दास्ताँ-ए-शौक़ सुनो और सुनाएं हम
बेनूर हो चुकी है बहुत शहर की फजा
तारीक रास्तों में कहीँ खो ना जाएँ हम
उस के बग़ैर आज बहुत जी उदास है
'जालिब' चलो कहीं से उसे ढूँढ लाएं हम

इस शहर-ए-खराबी में ......
इस शहर-ए-खराबी में गम-ए-इश्क के मारे
ज़िंदा हैं यही बात बड़ी बात है प्यारे
ये हंसता हुआ लिखना ये पुरनूर सितारे
ताबिंदा-ओ-पा_इन्दा हैं ज़र्रों के सहारे
हसरत है कोई गुंचा हमें प्यार से देखे
अरमां है कोई फूल हमें दिल से पुकारे
हर सुबह मेरी सुबह पे रोती रही शबनम
हर रात मेरी रात पे हँसते रहे तारे
कुछ और भी हैं काम हमें ए गम-ए-जानां
कब तक कोई उलझी हुई ज़ुल्फ़ों को सँवारे


.......हर्फ़-ए-सदाकत लिखना
और सब भूल गए हर्फ़-ए-सदाकत लिखना
रह गया काम हमारा ही बगावत लिखना
लाख कहते रहें ज़ुल्मत को ना ज़ुल्मत लिखना
हमने सीखा ही नहीं प्यारे बाइजाज़त लिखना
ना सिले की ना सिताइश की तमन्ना हमको
हक में लोगों के हमारी तो है आदत लिखना
हमने जो भूल के भी शाह का कसीदा ना लिखा
शायद आया इसी खूबी की बदौलत लिखना
उस से बढ कर मेरी तहसीन भला क्या होगी
पढ़ के नाखुश हैं मेरा साहब-ए-सर्वत लिखना
दहर के गम से हुआ रब्त तो हम भूल गए
सर्व कामत की जवानी को क़यामत लिखना
कुछ भी कहते हैं कहें शाह के मसाहिब
'जालिब' रंग रखना यही अपना इसी सूरत लिखना

Comments

  1. वाह, वाह
    एक सूची बना रहा हूं, उन मित्रों की, जिनके घर जाकर कई किताबें पार करनी हैं।
    आप भी इस सूची में आ लिये है

    ReplyDelete
  2. आभार व्यक्त करता हूँ, मित्र. आनन्द आ गया. आपने हमारी बात रखी, अति आभारी हूँ.

    ReplyDelete
  3. bahut achhaa likhte hain aap, jaaree rakhiye.
    deepak bharatdeep

    ReplyDelete

Post a Comment

सुस्वागतम!!

Popular posts from this blog

रामेश्वरम में

इति सिद्धम

Most Read Posts

रामेश्वरम में

Bhairo Baba :Azamgarh ke

इति सिद्धम

Maihar Yatra

Azamgarh : History, Culture and People

पेड न्यूज क्या है?

...ये भी कोई तरीका है!

विदेशी विद्वानों के संस्कृत प्रेम की गहन पड़ताल

सीन बाई सीन देखिये फिल्म राब्स ..बिना पर्दे का