अशआर
-विनय ओझा स्नेहिल
मुस्कराहट पाल कर होंठों पे देखो दोस्तों-
मुस्करा देगा यकीनन गम भी तुमको देखकर.
थाम लेगा एकदिन दामान तुम्हारा आस्मां -
थोड़ा थोड़ा रोज़ तुम ऊँचा अगर उठते रहे.
यह और है कि हसीनों के मुँह नहीं लगते-
वरना रखते हैं जिगर हम भी अपने सीने में.
पाँव में ज़ोर है तो मिल के रहेगी मंज़िल -
रोक ले पाँव जो ऐसा कोई पत्थर ही नहीं.
थाम लेगा एकदिन दामान तुम्हारा आस्मां -
ReplyDeleteथोड़ा थोड़ा रोज़ तुम ऊँचा अगर उठते रहे.
nice one....