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रामेश्वरम में
हरिशंकर राढ़ी दोपहर बाद का समय हमने घूमने के लिए सुरक्षित रखा था और समयानुसार ऑटोरिक्शा से भ्रमण शुरू भी कर दिया। पिछले वृत्तांत में गंधमादन तक का वर्णन मैंने कर भी दिया था। गंधमादन के बाद रामेश्वरम द्वीप पर जो कुछ खास दर्शनीय है उसमें लक्ष्मण तीर्थ और सीताकुंड प्रमुख हैं। सौन्दर्य या भव्यता की दृष्टि से इसमें कुछ खास नहीं है। इनका पौराणिक महत्त्व अवश्य है । कहा जाता है कि रावण का वध करने के पश्चात् जब श्रीराम अयोध्या वापस लौट रहे थे तो उन्होंने सीता जी को रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए, सेतु को दिखाने के लिए और अपने आराध्य भगवान शिव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए पुष्पक विमान को इस द्वीप पर उतारा था और भगवान शिव की पूजा की थी। यहाँ पर श्रीराम,सीताजी और लक्ष्मणजी ने पूजा के लिए विशेष कुंड बनाए और उसके जल से अभिषेक किया । इन्हीं कुंडों का नाम रामतीर्थ, सीताकुंड और लक्ष्मण तीर्थ है । हाँ, यहाँ सफाई और व्यवस्था नहीं मिलती और यह देखकर दुख अवश्य होता है। स्थानीय दर्शनों में हनुमा...
इति सिद्धम
इष्ट देव सांकृत्यायन विषयों में एक विषय है गणित. इस विषय के भीतर भी एक विषय है रेखागणित. ऐसे तो इस विषय के भीतर कई और विषय हैं. अंकगणित, बीजगणित, त्रिकोणमिति, लॉगरिथ्म, संख्यिकी, कलन आदि-आदि, मने विषयों की भरमार है यह अकेला विषय. इस गणित में कई तो ऐसे गणित हैं जो अपने को गणित कहते ही नहीं. धीरे से कब वे विज्ञान बन जाते हैं, पता ही नहीं चलता. हालाँकि ऊपरी तौर पर विषय ये एक ही बने रहते हैं; वही गणित. हद्द ये कि तरीक़ा भी सब वही जोड़-घटाना-गुणा-भाग वाला. अरे भाई, जब आख़िरकार सब तरफ़ से घूम-फिर कर हर हाल में तुम्हें वही करना था, यानि जोड़-घटाना-गुणा-भाग ही तो फिर बेमतलब यह विद्वता बघारने की क्या ज़रूरत थी! वही रहने दिया होता. हमारे ऋषि-मुनियों ने बार-बार विषय वासना से बचने का उपदेश क्यों दिया, इसका अनुभव मुझे गणित नाम के विषय से सघन परिचय के बाद ही हुआ. जहाँ तक मुझे याद आता है, रेखागणित जी से मेरा पाला पड़ा पाँचवीं कक्षा में. हालाँकि जब पहली-पहली बार इनसे परिचय हुआ तो बिंदु जी से लेकर रेखा जी तक ऐसी सीधी-सादी लगीं कि अगर हमारे ज़माने में टीवी जी और उनके ज़रिये सूचनाक्रांति जी का प्रादुर्भाव ...
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रामेश्वरम में
हरिशंकर राढ़ी दोपहर बाद का समय हमने घूमने के लिए सुरक्षित रखा था और समयानुसार ऑटोरिक्शा से भ्रमण शुरू भी कर दिया। पिछले वृत्तांत में गंधमादन तक का वर्णन मैंने कर भी दिया था। गंधमादन के बाद रामेश्वरम द्वीप पर जो कुछ खास दर्शनीय है उसमें लक्ष्मण तीर्थ और सीताकुंड प्रमुख हैं। सौन्दर्य या भव्यता की दृष्टि से इसमें कुछ खास नहीं है। इनका पौराणिक महत्त्व अवश्य है । कहा जाता है कि रावण का वध करने के पश्चात् जब श्रीराम अयोध्या वापस लौट रहे थे तो उन्होंने सीता जी को रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए, सेतु को दिखाने के लिए और अपने आराध्य भगवान शिव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए पुष्पक विमान को इस द्वीप पर उतारा था और भगवान शिव की पूजा की थी। यहाँ पर श्रीराम,सीताजी और लक्ष्मणजी ने पूजा के लिए विशेष कुंड बनाए और उसके जल से अभिषेक किया । इन्हीं कुंडों का नाम रामतीर्थ, सीताकुंड और लक्ष्मण तीर्थ है । हाँ, यहाँ सफाई और व्यवस्था नहीं मिलती और यह देखकर दुख अवश्य होता है। स्थानीय दर्शनों में हनुमा...
Bhairo Baba :Azamgarh ke
स्थानीय आस्था के केंद्र : आजमगढ़ के भैरव बाबा -हरिशंकर राढ़ी आस्था तो बस आस्था ही होती है, न उसके पीछे कोई तर्क और न सिद्धांत। भारत जैसे धर्म और आस्था प्रधान देश में आस्था के प्रतीक कदम-दर कदम बिखरे मिल जाते हैं। यह आवश्यक भी है। जब आदमी आदमी और प्रकृति के प्रकोपों से आहत होकर टूट रहा होता है, उसका विश्वास और साहस बिखर रहा होता है तो वह आस्था के इन्हीं केंद्रों से संजीवनी प्राप्त करता है और अपने बिगड़े समय को साध लेता है। भारत की विशाल जनसंख्या को यदि कहीं से संबल मिलता है तो आस्था के इन केंद्रों से ही मिलता है। तर्कशास्त्र कितना भी सही हो, इतने व्यापक स्तर पर वह किसी का सहारा नहीं बन सकता ! भैरव बाबा मंदिर का शिखर : छाया - हरिशंकर राढ़ी ऐसे ही आस्था का एक केंद्र उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जनपद में महराजगंज ...
इति सिद्धम
इष्ट देव सांकृत्यायन विषयों में एक विषय है गणित. इस विषय के भीतर भी एक विषय है रेखागणित. ऐसे तो इस विषय के भीतर कई और विषय हैं. अंकगणित, बीजगणित, त्रिकोणमिति, लॉगरिथ्म, संख्यिकी, कलन आदि-आदि, मने विषयों की भरमार है यह अकेला विषय. इस गणित में कई तो ऐसे गणित हैं जो अपने को गणित कहते ही नहीं. धीरे से कब वे विज्ञान बन जाते हैं, पता ही नहीं चलता. हालाँकि ऊपरी तौर पर विषय ये एक ही बने रहते हैं; वही गणित. हद्द ये कि तरीक़ा भी सब वही जोड़-घटाना-गुणा-भाग वाला. अरे भाई, जब आख़िरकार सब तरफ़ से घूम-फिर कर हर हाल में तुम्हें वही करना था, यानि जोड़-घटाना-गुणा-भाग ही तो फिर बेमतलब यह विद्वता बघारने की क्या ज़रूरत थी! वही रहने दिया होता. हमारे ऋषि-मुनियों ने बार-बार विषय वासना से बचने का उपदेश क्यों दिया, इसका अनुभव मुझे गणित नाम के विषय से सघन परिचय के बाद ही हुआ. जहाँ तक मुझे याद आता है, रेखागणित जी से मेरा पाला पड़ा पाँचवीं कक्षा में. हालाँकि जब पहली-पहली बार इनसे परिचय हुआ तो बिंदु जी से लेकर रेखा जी तक ऐसी सीधी-सादी लगीं कि अगर हमारे ज़माने में टीवी जी और उनके ज़रिये सूचनाक्रांति जी का प्रादुर्भाव ...
Maihar Yatra
मैहर और चित्रकूट -हरिशंकर राढ़ी यह जिज्ञासा मेरे मन में बहुत दिनों से थी कि न जाने उस चित्रकूट की धरती पर क्या रहा होगा कि अत्रि मुनि और उनकी लोकविख्यात पत्नी सती अनुसुइया ने सदियों तक निवास किया, वनवास के चौदह वर्षों में से बारह वर्ष श्रीराम ने यहीं बिताए; न जाने किस सत्य और शांति की तलाश में गोस्वामी तुलसी दास ने रामघाट पर बसेरा डाला और अकबर के नौरत्नों में प्रमुख कविवर रहीम ने भी शरण लेने के लिए चित्रकूट को ही चुना। तीर्थराज प्रयाग से दक्षिण पश्चिम लगभग सवा सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित चित्रकूट राम के काल में कोई तीर्थ नहीं हुआ करता था। हाँ, यहाँ की सुंदर उपत्यकाओं में ऋषियों - मुनियों एवं साधकों ने सिद्धियाँ जरूर प्राप्त की थीं, किंतु वे किसी लौकिक लाभ में संलग्न नहीं थे। निष्चित रूप से मंदाकिनी के इर्द-गिर्द घने और आकर्षक जंगल रहे होंगे क्योंकि अंधाधुंध कटान के बावजूद उसके आस-पास के जंगल मन को आज भी मोहते हैं। मंदाकिनी अपने नाम के अनुरूप मंथर गति से बहती अलौकिक तृप्ति देती रही ...
Azamgarh : History, Culture and People
आजमगढ़ : इतिहास और संस्कृति - हरिशंकर राढ़ी आजमगढ़ रेलवे स्टेशन फोटो : हरिशंकर राढ़ी रामायणकालीन महामुनि अत्रि और सतीत्व की प्रतीक उनकी पत्नी अनुसूया के तीनों पुत्रों महर्षि दुर्वासा, दत्तात्रेय और महर्षि चन्द्र की कर्मभूमि का गौरव प्राप्त करने वाला क्षेत्र आजमगढ़ आज अपनी सांस्कृतिक विरासत और आधुनिकता के बीच संघर्ष करता दिख रहा है। आदिकवि महर्षि वाल्मीकि के तप से पावन तमसा के प्रवाह से पवित्र आजमगढ़ न जाने कितने पौराणिक, मिथकीय, प्रागैतिहासिक और ऐतिहासिक तथ्यों और सौन्दर्य को छिपाए अपने अतीत का अवलोकन करता प्रतीत हो रहा है। आजमगढ़ को अपनी आज की स्थिति पर गहरा क्षोभ और दुख जरूर हो रहा होगा कि जिस गरिमा और सौष्ठव से उसकी पहचान थी, वह अतीत में कहीं खो गयी है और चंद धार्मिक उन्मादी और बर्बर उसकी पहचान बनते जा रहे हैं। आजमगढ़ ने तो कभी सोचा भी न होगा कि उसे महर्षि दुर्वासा, दत्तात्रेय, वाल्मीकि, महापंडित राहुल सांकृत्यायन, अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’, शिक्ष...
'घमंड तो रावण का भी नहीं रहा तो हम आप क्या चीज हैं' SP Leader' Letter to...
...ये भी कोई तरीका है!
इष्टदेव सांकृत्यायन ऐसा लग रहा है जैसे अभी कल की ही तो बात है और आज एकदम से सन्न कर देने वाली यह सूचना मिली - मनोज जी ( प्रो. मनोज कुमार सिंह ) नहीं रहे। दस पंद्रह दिन पहले उनसे बात हुई थी। तब वह बिलकुल स्वस्थ और सामान्य लग रहे थे। हमारी बातचीत कभी भी एक घंटे से कम की नहीं होती थी। फोन पर बात करते हुए पता ही नहीं चलता था कि बात कितनी लंबी खिंच गई। अभी जब 21 को बात हुई तब पेंटिंग के अलावा कुछ कविताओं पर बात हुई। यह बहुत कम लोग जानते हैं कि देश-विदेश में चित्रकला , और उसमें भी खासकर भित्तिचित्र ( murals) विधा के लिए जाने जाने वाले डॉ. मनोज कविताएं भी लिखते थे। अभी वे एक ऐसा संग्रह लाना चाहते थे जिसमें कविताओं के साथ चित्र हों। लेकिन अब कौन लाएगा। यह तो केवल वही कर सकते थे। वे ऐसा ही मेरा भी एक संग्रह देखना चाहते थे। मेरे एक संग्रह के लिए उन्होंने कवर का चित्र बनाया भी। लेकिन न तो वह संग्रह आ पाया और न चित्र। नहीं , उसमें हमारी ओर से कोई ढिलाई नहीं थी। दोनों भाइयों ने अपना-अपना काम बड़ी शिद्दत से किया था लेकिन प्रकाशक तो प्रकाशक ही होता है। हिंदी में जिसने प्रकाशक को जान लिया , व...
पेड न्यूज क्या है?
प्रकाश अस्थाना जब भी आम चुनाव निकट होते हैं , तो चुनाव आयोग और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से एक निर्देश जारी होता है कि मीडिया में पेड न्यूज नहीं चलाई जाएं अन्यथा समुचित कार्रवाई होगी। आम पाठक भले ही इसे अधिक गहराई से न समझ सके , लेकिन मीडिया से जुड़े लोग इस बात को समझते हैं। होना यह चाहिए कि पाठकों या चैनल दर्शकों तक पेड न्यूज की बारीकियों को कोई ठीक तरीके से पहुंचाए या उन्हें समझाए...मीडिया खुद ऐसा करेगा नहीं , क्योंकि यह अपने पांव में कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा !! तो फिर कौन करेगा ? ऐसे में सूचना प्रसारण मंत्रालय को ही कमर कसनी होगी , वह भी पूरी ईमानदारी के साथ..। साभार: https://www.indianfolk.com/menace-paid-news-edited-2/ पेड न्यूज... चुनावों के दौरान किसी पार्टी विशेष या चुनाव में खड़े उम्मीदवार का महिमामंडन करने जैसी खबरें पैसे लेकर दिखाने अथवा छापने को अभी तक पेड न्यूज समझा जाता है.. लेकिन अब इसका रूप भी बदल चुका है और समय सीमा की कोई LOC भी निर्धारित नहीं है। यानि , बारहों महीने..। .. जी हां , है कड़वा लेकिन सच तो यही है। अब खबरों के बदले पैसा बनाने का खेल चुनावी मौसम ...
विदेशी विद्वानों के संस्कृत प्रेम की गहन पड़ताल
हरिशंकर राढ़ी ( विदेशी विद्वानों का संस्कृत प्रेम ’ - जगदीश प्रसाद बरनवाल ‘ कुंद ’) विश्व की प्राचीनतम एवं सर्वाधिक व्यवस्थित भाषा का पद पाने की अधिकारी संस्कृत आज अपनी ही जन्मभूमि पर भयंकर उपेक्षा का शिकार है। उपेक्षा ही नहीं , कहा जाए तो यह कुछ स्वच्छंदताचारियों या अराजकतावादियों की बौद्धिक हिंसा का भी शिकार है। भले ही व्याकरण के कड़े नियमों में बँधी हुई संस्कृत दुरूह है , किंतु इसके साहित्य और लालित्य को समझ लिया जाए तो शायद ही विश्व की किसी सभ्यता का साहित्य इसके बराबर दिखेगा। इसे अतीत के एक खासवर्ग की भाषा मानकर जिस तरह गरियाया जा रहा है , वह एक विकृत राजनीतिक मानसिकता का परिचायक है।यह हमारे यहाँ ही संभव है अपनी प्राचीन भाषाओं को जाति , क्षेत्र और वर्ग के राजनीतिक चश्मे से देखा जाए। यदि संस्कृत भाषा और साहित्य इतना ही अनुपयोगी और दुरूह होती तो यूरोप सहित अन्य महाद्वीपों के असंख्य विद्वान इसके लिए अपना जीवन होम नहीं कर देते। हाँ , यह विडंबना ही है कि हमें अपनी विरासत का महत्त्व विदेशियों से अनुमोदित करवाना पड़ता है। संस्कृत भाषा और साहित्य से विदेशी विद्वानों को कितना ल...
सीन बाई सीन देखिये फिल्म राब्स ..बिना पर्दे का
(आलोक नंदन) एक फिल्म स्क्रीप्ट डिस्पले कर रहा हूं…फिल्म का नाम है राब्स, इसके साथ नीचे में इनवर्टेड कौमा में लिखा हुआ है, अपराध जगत में एक प्रयोगवादी जज...अब खुद देख लिजीये यह जज कितना प्रयोगवादी है....यह जैसा है वैसे ही रखने जा रहा हूं....एक एक सीन रखता जाऊंगा... वर्तमान सीन से आगे बढ़ कर सीन बताने वालो का स्वागत है, वैसे इसको पढ़ने का मजा तो हर कोई उठा ही सकता है। स्क्रीप्ट लेखन टेक्निक के लिहाज से यह मुझे कुछ उम्दा लगा और स्क्रीप्ट लेखन में कैरियर बनाने की इच्छा रखने वालों के लिए यह निसंदेह सहायक हो सकता है। स्क्रीप्ट लेखन से संबंधित किसी भी स्तर के कोई भी प्रश्न आप यहां दाग सकते हैं....आपके सवालों और सुझावों का स्वागत है। Robes “ An experimental judge in a crime world.” Laugh with unbroken breaking news Comedy of cruelty “ Wanted for his own murder charge” तो शुरु हो रहा है राब्स...बिना टिकट के ही इसका मजा लिजीये....। (इसे एक फिल्म का विशुद्ध रूप से प्रचार स्टाइल माना जाये, (फिल्मों के प्रचार स्टाईल का अपना एक तरीका है, ) हालांकि कि यह फिल्म बनी ही नहीं है, और ...
nice post :) thanks 4 ur visit and we try our best to give u information as required by you.
ReplyDeleteदिल को दंगों में इत्मीनान कहाँ मिलता है.
ReplyDelete----------------------------
बहुत सूक्ष्म समझ है मनस की!