निशानी नहीं थी
हरि शंकर राढ़ी
किसने कहा कि वो रानी नहीं थी.
दुष्यंत की बस निशानी नहीं थी.
तन में टूटन थी न मन में चुभन थी
सच में सुबह वो सुहानी नहीं थी.
लहरों सी उसमें लचक ही लचक थी
पानी भी था और पानी नहीं थी.
जल्दी से कलियों ने आँचल हटाया
हालांकि उनपर जवानी नहीं थी.
कैसे सुनाता वफ़ा की इबारत
दिल पर लिखी थी जुबानी नहीं थी.
फूलों के रस डुबाकर लिखी जो
राढ़ी वो सच्ची कहानी नहीं थी.
किसने कहा कि वो रानी नहीं थी.
दुष्यंत की बस निशानी नहीं थी.
तन में टूटन थी न मन में चुभन थी
सच में सुबह वो सुहानी नहीं थी.
लहरों सी उसमें लचक ही लचक थी
पानी भी था और पानी नहीं थी.
जल्दी से कलियों ने आँचल हटाया
हालांकि उनपर जवानी नहीं थी.
कैसे सुनाता वफ़ा की इबारत
दिल पर लिखी थी जुबानी नहीं थी.
फूलों के रस डुबाकर लिखी जो
राढ़ी वो सच्ची कहानी नहीं थी.
जब आपको ई मालूम था की वो सच्ची कहानी नहीं थी, त लिखबे कहें किये जी?
ReplyDeleteवाह भाई वाह
ReplyDeleteआप तो बहुत दिन बाद आए, चलिए कुछ और लिख डालिए।
ReplyDeleteये मरीचिका है य कुछ भेद खुल रहा है?
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