और ज्यादा हंसो

थोडी देर पहले मैंने अनिल रघुराज के ब्लोग पर एक पोस्ट पढा है. उस पर प्रतिक्रिया देना चाह रहा था, पर यह प्रतिक्रिया ही लम्बी कविता बन गई. मैंने सोचा चलो पोस्ट बना देते हैं. पढ़ कर बताइएगा, कुछ गड़बड़ तो नहीं किया?

हंसो-हंसो
ताकि उन्हें यह शक न हो
कि तुम पढ़ रहे हो
उसमें भी कविता पढ़ रहे हो
और वह
उसे सचमुच समझ भी रहे हो
ताकि उन्हें यह शक न हो
तुम सचमुच पढ़ने के लिए
पढ़ रहे हो
ताकि उन्हें यह लगे कि
तुम सिर्फ पर्सेंटेज बनाने के लिए
पढ़ रहे हो
कि तुम सिर्फ नौकरी पाने के लिए
पढ़ रहे हो
कि तुम्हारे लिए पढ़ने का मतलब
जीवन और जगत के प्रति
कोई सही दृष्टि विकसित करना नहीं है
ताकि उन्हें यह लगे कि
तुम किसी प्रोफेसर के बेटे होया उसके होने वाले दामाद हो
पढ़ लिख कर
इसी यूनिवर्सिटी में
या किसी और संस्थान में
एक पुर्जे की तरह फिट हो जाओगे
हंसो-हंसो
ताकि उन्हें यह लगे कि
फिर तुम्हारा जम कर
इस्तेमाल किया जा सकेगा
जैसे चाहा जाएगा
वैसे तुम्हे बजाया जाएगा
कि तुम्हे बन्दर से भी
बदतर बना लिया जाएगा
चंद कागज़ के टुकडों के लिए
तुम्हे जैसे चाहे वैसे
नचाया जाएगा
झूठ को सुच्चा सच
और सच को
सरासर झूठ
तुमसे कहलवाया जाएगा
हंसो कि
नचाने वालों से कहीं ज्यादा
तत्परता के साथ तुम नाचोगे
हंसो कि
तुम्हारे पास अपनी मजबूरियों के लिए
कई हजार बहाने होंगे
हंसो कि
आज तुम जो कुछ पढ़ रहे हो
इसका वैसे भी कोई मतलब नहीं है
हंसो कि
पढ़-लिख जाने के बाद
तुम इसे और ज्यादा निरर्थक बना दोगे
हंसो कि
तुम्हे तुलसी-कबीर-गालिब-निराला
पढाए गए
ताकि तुम
हर्षद-नटवर-सुखराम
के रास्ते पर चल सको
हंसो कि हंसने के लिए
इससे बेहतर और क्या चाहिए
हंसो कि
हमारे देश में
पढ़ना अपने-आपमें
एक चुटकुला है
हंसो कि
बहुत लोग फिर भी इसे
बहुत गंभीरता से लेते हैं
हंसो कि
हंसने के लिए
इससे ज्यादा और क्या चाहिए।

Comments

  1. अब आप हंहने को बार-बार ठेल रहे हैं इस पोस्ट में पर हममें ही कुछ गड़बड़ है कि हंसी नहीं आ रही। गम्भीर हुये जा रहे हैं।

    ReplyDelete
  2. ज्ञान भैया
    हम लोग वैसे भी जिन तमाम बातों पर हँसते हैं, अगर गंभीरली सोचें तो वे सब गंभीर होने की ही तो हैं. और अब सब पर गंभीर तो हुआ नहीं जा सकता, लिहाजा हंसिये. खूब हंसिये.

    ReplyDelete
  3. इतना हंसने से तो रोना बेहतर है।
    अच्छी तो बन गई कविता । काहे असमंजस में हैं।

    ReplyDelete
  4. भाई माफी चाहता हूं। व्यस्तता के चलते पहले नहीं देख पाया है। बड़ी कड़वी सच्चाई आपने बयां की है इस कविता में।

    ReplyDelete

Post a Comment

सुस्वागतम!!

Popular posts from this blog

रामेश्वरम में

इति सिद्धम

Most Read Posts

रामेश्वरम में

Bhairo Baba :Azamgarh ke

इति सिद्धम

Maihar Yatra

Azamgarh : History, Culture and People

पेड न्यूज क्या है?

...ये भी कोई तरीका है!

विदेशी विद्वानों के संस्कृत प्रेम की गहन पड़ताल

सीन बाई सीन देखिये फिल्म राब्स ..बिना पर्दे का