तस्लीमा, तुम स्वीडेन चली जाओ प्लीज़

तस्लीमा के नाम केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार की चिट्ठी

तस्लीमा,

तुम महान हो। बढ़िया लिखती हो। तुम्हारा लिखा हुआ हमारे देश में भी खूब बिकता है। लेकिन तस्लीमा तुम स्वीडेन चली जाओ। तस्लीमा तुमने हमारी धर्मनिरपेक्षता के स्वांग को उघाड़ दिया है। हम कितने महान थे। हम कितने महान हैं। हम लोकतंत्र हैं, हमारे यहां संविधान से राज चलता है, जिसमें विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात नागरिकों के मूल अधिकारों में दर्ज है।

लेकिन ये अधिकार तो हम अपने नागरिकों को भी नहीं देते हैं तस्लीमा। हम विनायक सेन को कैद कर लेते हैं। वरवर राव हमारे निशाने पर है। विरोध करने वालों को हम माफ नहीं करते। हमारी जेलों में लेखक रहें ये अंग्रेजों के समय से चली आ रही परंपरा है।

और तुम तो विदेशी हो तस्लीमा। नंदीग्राम में हमने एक शख्स को तो इसलिए गिरफ्तार कर लिया है कि उसकी झोली में महाश्वेता की रचनाएं मिली हैं। फिर भी ये लोकतंत्र है तस्लीमा। हमारी भी कुछ इज्जत है। हमारी इज्जत तुम्हारे यहां होने से सरेआम उछल रही है। तस्लीमा, जिद न करो। यूरोपीय लोकतंत्र के सुरक्षित वातावरण में चली जाओ। अब जाओ भी। दफा हो जाओ भारत से।

वरना तस्लीमा हम तुम्हारा बुरा हाल करेंगे। हम लोकतंत्र हैं फिर भी तुम्हे नजरबंद कर देंगे। सुरक्षा के नाम पर तुम्हें बाकी दुनिया से काट देंगे। किसी से भी मिलने नहीं देंगे तुम्हे। फोन पर बात भी तुम उसी से करोगी, जिसके लिए हम इजाजत देंगे। अकेलेपन से तुम्हें डर लगता है ना तस्लीमा। हम तुम्हे अकेलापन देंगे। ऐसा अकेलापन कि तुम पागल हो जाओगी। तुम पागल बनना तो नहीं चाहती हो तस्लीमा। भारतीय लोकतंत्र का दिल भी बड़ा कोमल है। और तुम तो समझदार हो। तुम समझती क्यों नहीं तस्लीमा। प्लीज, अब मान भी जाओ।

देखती नहीं तुम कि तुम्हारे भारत में होने से हम दोनों सरकारों को कितनी दिक्कत हो रही है। मैं पश्चिम बंगाल सरकार हूं। मैं लेफ्ट हूं। मैं तो कहता हूं तुम जहां चाहो रहो। लेकिन पश्चिम बंगाल को तो माफ करो। यहां आओगी, तो हम तुम्हारी सुरक्षा नहीं करेंगे। हमने तीस साल के शासन में मुसलमानों के साथ बड़ा छल किया है। उनकी आबादी राज्य में 25 फीसद से ज्यादा है लेकिन सरकारी नौकरियों में वो सिर्फ 2.1 फीसदी हैं। उन्हें न हमने शिक्षा दी न बैंक लोन। तस्लीमा तुम सच्चर कमेटी की रिपोर्ट देख लो। वैसे अब तो हम उन्हें सुरक्षा भी नहीं दे रहे हैं। बर्गादार मुसलमानों की जमीन छीन रहे हैं हम। इसलिए नंदीग्राम होता है और वहां सबसे ज्यादा मुसलमान मारे जाते हैं।

तस्लीमा, पश्चिम बंगाल के मुसलमान नौकरियां मांगने लगे हैं। वो तो हम उन्हें दे नहीं सकते, लेकिन उनके कट्टरपंथी हिस्से को हम ये जरूर कह सकते हैं कि देखो हमने तस्लीमा को भगा दिया। तुम्हारा भागना हमारे लिए उपलब्धि है। ये हमारी ट्रॉफी है तस्लीमा। तुम बंगाल लौटकर उस ट्रॉफी को हमसे छीन लेना चाहती हो? खबरदार जो ऐसा किया। हम ऐसा नहीं होने देंगे।

हम बाहर नहीं बोलेंगे, पर केंद्र की सरकार को धमकाएंगे, समर्थन वापस लेने की धमकी भी देंगे। ऐसे में तुमको लगता है कि तुम बंगाल लौट पाओगी। भूल जाओ तस्लीमा। तुम स्वीडेन चली जाओ। हुसैन साहब भी तो विदेश भाग गए। तुम भी ऐसा ही करो। खुश रहो। हमारी शुभकामनाएं तुम्हारे साथ हैं। तुम कितनी अच्छी हो। थैंक्स।
-दिलीप मंडल

Comments

  1. तस्लीमा का तो पता नही जी कि वो जायेगी या नही पर आप टिकट का जुगाड करादो ये वादा है हम तुरंत चले जायेगे..:)

    ReplyDelete
  2. सही है, बहुत करारे हैं ये प्रहार। निशाने तक पहुँचे तो सही।

    ReplyDelete
  3. आपकी गुजारिश तो सही है. तस्लीमा इसे समझ भी गई होंगी. लेकिन मजा तब है जब हमारे वामपंथी भाई इसे समझ सकें. उनसे भी ज्यादा जरूरत उनको समझाने की है जो भारत में धर्मनिरपेक्षता रूपी स्वांग के आदि निर्माता हैं यानी सच्चे गाँधीवादी. मुझे पक्का यकीन है वे समझ भी गए होंगे, पर वह गांधीवादी ही कैसा जो सच को समझने के बाद स्वीकार भी कर ले. काश! ऐसा हो पाता.

    ReplyDelete

Post a Comment

सुस्वागतम!!

Popular posts from this blog

रामेश्वरम में

इति सिद्धम

Most Read Posts

रामेश्वरम में

Bhairo Baba :Azamgarh ke

इति सिद्धम

Maihar Yatra

Azamgarh : History, Culture and People

पेड न्यूज क्या है?

...ये भी कोई तरीका है!

विदेशी विद्वानों के संस्कृत प्रेम की गहन पड़ताल

सीन बाई सीन देखिये फिल्म राब्स ..बिना पर्दे का