हिन्दी ब्लॉगर ने छुआ लाख का आंकडा
यह हम सभी हिन्दी ब्लागरों के लिए हर्ष की बात है कि एक हिन्दी ब्लॉगर ने एक लाख हित का आंकडा छू लिया है. हमारे लिए यह ज्यादा हर्ष की बात खास तौर से इसलिए है कि यह उपलब्धि हमने अपनी टांग खिचाई, बेमतलब सिर फुटौवल, अंधी गुटबंदी और ईर्ष्या-द्वेष की अपनी चिरंतन आदर्श वृत्तियों को बरकरार रखते हुए हासिल की है. अपनी मूलभूत परम्परा छोड़ कर तो बहुत लोग तरक्की कर लेते हैं, हमने यह उपलब्धि अपनी परम्परा छोड बगैर हासिल की है. इसी परम्परा को समर्पित है यह लिंक :
स्वागत है श्रीमान आपका भर-भर भरें बधाई·
कुछ तो मारा भ्रष्ट्राचार ने कुछ मार रही महंगाई
हम भी वही बनाते जो दशकों से बना रहीं आपको
कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा, सीपीएम, सीपीआई
हैप्पी पहली अप्रैल
स्वागत है श्रीमान आपका भर-भर भरें बधाई·
कुछ तो मारा भ्रष्ट्राचार ने कुछ मार रही महंगाई
हम भी वही बनाते जो दशकों से बना रहीं आपको
कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा, सीपीएम, सीपीआई
हैप्पी पहली अप्रैल
बधाइ हो इष्ट देव जी ,कमाल है जी आप फ़ल बनने की इस उम्र मे फ़ूल बने है,और अब दुसरो को बनाने निकल पडे है,मै तो बस यहा आपको यहा अकेले नही देखना चाहता था इसी लिये चला आया..:)
ReplyDeleteचलिए! किसी बहाने आए तो सही. स्वागत है!!
ReplyDeletehttp://nukkadh.blogspot.com/
ReplyDeletehttp://jhhakajhhaktimes.blogspot.com/
http://bageechee.blogspot.com/
http://avinashvachaspati.blogspot.com/
आपके लिए उपयोगी लिंक्स, महत्वपूर्ण सूचनाएं.
तेताला जी
ReplyDeleteक्या इन दुकानों पर ही यही व्यंजन बनाया जा रहा है?
ishtdev ji
ReplyDelete1 lakh ki sannkhya mein 1 april ko pahunch gaye.
barhiya hai....
chirantan vrittiyon ki soochi mein laffaaji ko bhool gaye.
barhiya hai...
parampara se chipakne ko uplabdhi bata gaye.
barhiya hai...
rajneeti,mahangaee,aur bhrast-tantra kee line mein khade huay ulloo banaa gaye.
barhiya hai...
वाह सिद्धार्थ बाबू
ReplyDeleteआप तो सुनील बाबू की याद दिला गए....
बढ़िया है.
आप अभी अप्रेल फूल बना राहे हैं लेकिन भविष्य में 2 से भी ज़्यादा होंगे
ReplyDeleteईश्वर करे ऐसा जल्दी ही हो.
ReplyDeleteइष्टदेव जी, एक लाख से अधिक पेज व्यूज की सीमा (केवल हिट ही नहीं) कई हिन्दी ब्लाग पार कर चुके हैं.
ReplyDeleteकुछ ब्लाग्स ने यह कारनामा कई वर्षों में कर पाया है जबकि कुछ ब्लाग्स ने इसे केवल कुछ ही महीनों में कर लिया है.
हाँ-हाँ! अभी वे छः दिन तक और ऐसा कर सकते हैं. अप्रैल का पूरा पहला हफ्ता ऎसी ही कारगुजारियों को समर्पित होता है.
ReplyDeleteअक्लमंद पोस्ट ...
ReplyDeleteपरंपरा-पकड़ ये लिंक आपका वाह-वाह राम दुहाई
ReplyDeleteमूर्ख-दिवस की विकट बुद्धि ये सचमुच बहुत सुहाई!
जो होना है होकर रहता है. देखिये हम १ को बच गए तो २ तारीख को अप्रैल फूल बन गए. :)
ReplyDeleteअजी जनाब..कुछ अजूबा बताते...आपकी काबिलियत देख हम तो इसे सच माने जा रहे थे तो बधाई कह उठे..खैर, कोई नहीं..जल्द असल में भी देनी ही पड़ेगी तो अभी से एडवान्स में रख लें. :)
ReplyDeletesch bhi kho to koi viswas nhi krta aajkl :-)
ReplyDeleteजी लवली जी
ReplyDeleteअब देखिए न! लोग इतनी सीधी सच्ची बात भी मानने के लिए तैयार नहीं हैं. सबको लग रहा है की हम बना रहे हैं.