बाबू परमानंद नहीं रहे
हरियाणा के पूर्व राज्यपाल और जम्मू-कश्मीर विधानसभा के अध्यक्ष रहे बाबू परमानंद का लंबी बीमारी के बाद जम्मू में निधन हो गया। वो 76 साल के थे। बाबू परमानंद का जन्म जम्मू-कश्मीर में आरएस पुरा तहसील के सारोर गांव में हुआ। वो छह बार जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए चुने गए। अपने राजनीतिक जीवन में उनका जुड़ाव नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और बीजेपी से रहा। वर्ष 2000 में वो हरियाणा के राज्यपाल बने और केंद्र में यूपीए की सरकार आने के बाद उन्हें ये पद छोड़ना पड़ा।
बाबू परमानंद की एकेडमिक्स और खासकर अर्थशास्त्र में अच्छी दखल मानी जाती थी। हालांकि उन्होंने कानून की भी पढ़ाई की थी। बाबू परमानंद जम्मू-कश्मीर बैंक और जम्मू रूरल बैंक के निदेशक भी रहे।
दलित साहित्य में उनकी गहरी दिलचस्पी थी और वो भारतीय दलित साहित्य अकादमी जम्मू-कश्मीर के अध्यक्ष भी रहे। डोगरी के अलावा हिंदी, इंग्लिश, उर्दू और पंजाबी पर उनका अधिकार था। उन्हें राष्ट्रीय दलित साहित्य अकादमी का बीआर अंबेडकर सम्मान भी मिला। ये सम्मान उन्हें तत्कालीन पूर्व राष्ट्रपति के आर नारायणन ने प्रदान किया।
बाबू परमानंद को हमारी श्रद्धांजलि।
बाबू परमानंद की एकेडमिक्स और खासकर अर्थशास्त्र में अच्छी दखल मानी जाती थी। हालांकि उन्होंने कानून की भी पढ़ाई की थी। बाबू परमानंद जम्मू-कश्मीर बैंक और जम्मू रूरल बैंक के निदेशक भी रहे।
दलित साहित्य में उनकी गहरी दिलचस्पी थी और वो भारतीय दलित साहित्य अकादमी जम्मू-कश्मीर के अध्यक्ष भी रहे। डोगरी के अलावा हिंदी, इंग्लिश, उर्दू और पंजाबी पर उनका अधिकार था। उन्हें राष्ट्रीय दलित साहित्य अकादमी का बीआर अंबेडकर सम्मान भी मिला। ये सम्मान उन्हें तत्कालीन पूर्व राष्ट्रपति के आर नारायणन ने प्रदान किया।
बाबू परमानंद को हमारी श्रद्धांजलि।
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