चार रंग जिंदगी के

पुस्तक समीक्षा

चार रंग जिंदगी के

अपने जीवन के उत्तरार्द्ध में सर्जनात्मक लेखन से जुडने वाली रचनाकार डाॅ अरुणा सीतेश ने बहुत कम समय में ही तत्कालीन कथा-लेखिकाओं के बीच अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित कर ली थी। उनके कथा- साहित्य के केंद्र में प्रायः स्त्री जीवन की गहन भावनाओं का मार्मिक चित्रण उपस्थित रहता है। कुछ समय पूर्व प्रकाशित कथा संकलन ‘ चार लंबी कहानियां ’ में सम्मिलित उनके द्वारा लिखी गई कहानियां जहां एक ओर नारी मन के अंतद्र्वंद्व को उजागर करती हैं तो साथ ही मानवीय मनोविज्ञान का विश्लेषण भी करती हैं।
समीक्ष्य संग्रह में संकलित पहली कहानी ‘डूबता हुआ सूरज’ एक असफल प्रेम की मार्मिक गाथा को बयान करती है। आत्मकथात्मक शैली में लिखी गई यह कहानी यद्यपि चिर- परिचित कथानक पर ही आधारित है , लेकिन इसका शिल्प और मनोभावों को पूरी सशक्तता से व्यक्त करने के लिए गढे गए वाक्य विन्यास , पाठकों को बांध कर रखने में पूर्णतः सक्षम हैं।
भावुक इंसान के जीवन की मुश्किलें तब और बढ जाती हैं , जब उस पर अपने ही परिजनों और जीवन को व्यावहारिकता से देखने वालों का दबाव पडने लगता है। बुद्धिजनित तर्कों और भावजनित संवेदनाओं के दो राहे पर खडे एक ऐसे ही युवक शिशिर की दुविधाग्रस्त अंतर्दशा का सूक्ष्म विवेचन इस संग्रह की कहानी ‘ चांद भी अकेला है ’ में किया गया है। इस कहानी का अंत शिशिर के उस असाधारण निर्णय के साथ होता है , जब वह अपने सपनों और अपनी महात्वाकांक्षाओं को दफनाकर मानसिक रूप से विकलांग अपनी बहन के इलाज कराने का निश्चय कर लेता है। इसी तरह ग्रामीण परिवेश पर आधारित संग्रह की एक अन्य कहानी‘कल्लू का कल्लू’ में सवर्ण और शक्तिसम्पन्न वर्ग के द्वारा कमजोर वर्ग के उत्पीडन और इसके विरुद्ध उपजे विद्रोह को प्रभावी ढंग से व्यक्त किया गया है। यह कहानी शोषण के खिलाफ होने वाली क्रांति की जमीनी हकीकत और उसकी परिणति को सहजता के साथ हमारे समक्ष उजागर करती है। दरअसल , यह कहानी इस कडवे सच को भी स्थापित करती है कि हाशिए पर रहने वाले लोग भी केंद्र में पहुंचने पर किस तरह से हाशिए पर बचे शेष लोगों को भूल जाते हैं ?
कहा जा सकता है कि समीक्ष्य संग्रह की चारो कहानियां हमारे आस-पास के जीवन से जुडी तो हैं , ही साथ ही इनके माध्यम से बनते- बिगडते पारिवारिक और सामाजिक संदर्भेंा का भी प्रभावी चित्रण किया गया है। चार अलग - अलग विषयों पर लिखी गई ये कहानियां , वास्तव में पाठक को जिंदगी के चार रंगों से रू-ब-रू कराती हैं।

विज्ञान भूषण


पुस्तक - चार लंबी कहानियां
लेखिका- डाॅ अरुणा सीतेश
प्रकाशक- अमरसत्य प्रकाशन, नई दिल्ली
मुल्य - 150 रु मात्र

Comments

  1. अरूणा सीतेश जी की पुस्तक चार लम्बी कहानियाँ की समीक्षा पढकर कहानी संग्रह पढने की इच्छा हो रही है।

    ----------
    S.B.A.
    TSALIIM.

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  2. achchhi sameeksha ki aapne ...samay mila to hum bhi padhenge

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  3. पुस्तक से परिचित कराने का धन्यवाद।

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  4. डा. अरुणा सीतेश को बहुत बहुत बधाई इस पुस्तक के प्रकाशन पर.......!!

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  5. शुक्रिया इस जानकारी के लिये...अच्छी समीक्षा...कोशिश करते हैं पुस्तक पढ़ने की

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