सामाजिक रिश्ता
मुल्ला नसरुद्दीन के पास समय की बड़ी कमी थी. बेचारे अपनी बीवी को समय दे ही नहीं पाते थे. तो उन्होंने सोचा कि क्यों न उसे तलाक़ ही दे दिया जाए. लिहाजा वे शहरक़ाज़ी के दफ्तर गए और वहां तलाक़ की अर्जी डाल दी. क़ाज़ी ने नसरुद्दीन को बुलाया. मुल्ला हाज़िर हुए.
क़ाज़ी ने सवाल किया, ‘तो तुम्हारी बीवी का नाम क्या है मुल्ला?’
‘अच्छा’, क़ाज़ी ने आश्चर्य जताया, ‘तुम लोग कितने दिनों से साथ रह रहे हो?’
‘मेरा ख़याल है 20 साल से कुछ ज़्यादा हो गए’, मुल्ला ने कुछ सोचते हुए बताया.
‘ऐसा कैसे हो सकता है कि तुम 20 साल से साथ रहो और नाम भी न जानो?’ क़ाज़ी बौखलाया.
‘हो सकता है हुज़ूर! बिलकुल हो सकता है.’ मुल्ला ने सफ़ाई पेश की, ‘असल में हमारा उसका कोई सामाजिक रिश्ता ही नहीं है.’
वाह !
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDeleteबहुत खूब। ...इसीलिए सामाजिक रिश्तों को बनाए रखना बहुत जरूरी है। :)
ReplyDeleteसही है!
ReplyDeleteबिल्कुल सही। लेटेस्ट-मोस्ट हीरोइनों से हमारा कोई सामाजिक रिश्ता नहीं है, इस लिये हमें उनके नाम नहीं मालुम। :-)
ReplyDeleteबहुत सही .
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteमजा आ गया.
ReplyDeleteबहुत खूब।
ReplyDeleteनहले पे दहला।
कितना जरुरी है बीबी के साथ सामाजिक रिश्ता रखना...वरना तो नाम भी न मालूम प़ए.
ReplyDeleteबढ़िया
ReplyDeletebahut hi badhia sirji...............
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