---क्योंकि मुझे अमरत्व में यकीन है

सिगरेट की धुयें की तरह
तेरे दिल को टटोल कर
तेरे होठों से मैं बाहर निकलता हूं,
हवायें अपने इशारों से मुझे उड़ा ले जाती है।

तुम देखती हो नीले आसमान की ओर
मैं देखता हूं तुम्हे आवारा ख्यालों में गुम होते हुये।

तुम सिगरेट की टूटी को
जमीन पर फेंककर रौंदती हो,
और मैं बादलों में लिपटकर मु्स्कराता हूं।

मुझे यकीन है, तमाम आवारगी के बाद
इन बादलों में बूंद बनकर फिर आऊँगा
और भींगने की चाहत
तुझे भी खींच लाएगी डेहरी के बाहर।

हर बूंद तेरे रोम-रोम को छूते
हुये निकल जाएगी,
धरती पर पहुंचने के पहले ही
तेरी खुश्बू मेरी सांसों में ढल जाएगी

मैं बार-बार आऊंगा, रूप बदलकर
-------क्योंकि मुझे अमरत्व में यकीन है।

Comments

  1. मैं बार-बार आऊंगा, रूप बदलकर
    -------क्योंकि मुझे अमरत्व में यकीन है।

    बाकी की पूरी कविता इस लाइन की भूमिका बंधती लगी

    बहुत सुन्दर कविता

    वीनस केसरी

    ReplyDelete
  2. aapka yakeen dhnya hai, stutya hai aur shaashvat hai.......ye yakeen kayam rahe yahi meri kamna
    HAARDIK SHUBH-KAMNA
    waah waah kya baat hai

    ReplyDelete
  3. गोया के दिलचस्पी ओर बिंदासी का मिला जुला सा मिश्रण....पूरी कविता में एक ले सी बंधी है .....
    तुझे भी खींच लाएगी डेहरी के बाहर.....यहाँ तक.......
    अगली कुछ पंक्तिया रूमानी सी हो गयी उम्मीद आवारगी ओर उसे लापरवाही की रौ की थी ....

    ..फिर भी इस सुहाने मौसम में पढना अच्छा लगा.....

    ReplyDelete
  4. एक अलग अंदाज लिखा गया नवगीत।
    प्रतीक अच्छे हैं।

    ReplyDelete
  5. इश्क का अनूठा अंदाज़ बेहद भाया...
    सुंदर कविता

    ReplyDelete
  6. मुझे यकीन है, तमाम आवारगी के बाद
    इन बादलों में बूंद बनकर फिर आऊँगा....
    बहुत उम्दा .

    ReplyDelete
  7. एक हाथ के सिगरेट के धुएँ बारे में तो आपने खूब लिखा ,दूजे हाथ का छलकता जाम भी कुछ तो कहता होगा और वो रगों में घुसकर दौड़ता lsd...वो.... वो भी तो झूमता होगा उनके साथ १!

    ReplyDelete
  8. अरे भाई कुछ तो मद्यनिषेध अभियान का ख़याल करो

    ReplyDelete

Post a Comment

सुस्वागतम!!

Popular posts from this blog

रामेश्वरम में

इति सिद्धम

Most Read Posts

रामेश्वरम में

Bhairo Baba :Azamgarh ke

इति सिद्धम

Maihar Yatra

Azamgarh : History, Culture and People

पेड न्यूज क्या है?

...ये भी कोई तरीका है!

विदेशी विद्वानों के संस्कृत प्रेम की गहन पड़ताल

सीन बाई सीन देखिये फिल्म राब्स ..बिना पर्दे का