kavita
अन्धकार
अन्धकार
एक शक्तिमान सत्य है
जो चढ़ बैठता है
तपते सूरज के ज्वलंत सीने पर
आहिस्ता आहिस्ता ।
अंधकार
बहुत कुछ आत्मसात कर लेता है
स्वयं में
और
सबको जरूरत होती है
अंधकार की
कुछ देर के लिए ।
हम ख़ुद भी
रक्षा करना चाहते हैं अंधकार की
उस पार देखना भी नहीं चाहते हैं
और
जिनकी दृष्टि
अंधकार के उस पार जाती है
उन्हें हम उल्लू कहते हैं ।
अन्धकार
एक शक्तिमान सत्य है
जो चढ़ बैठता है
तपते सूरज के ज्वलंत सीने पर
आहिस्ता आहिस्ता ।
अंधकार
बहुत कुछ आत्मसात कर लेता है
स्वयं में
और
सबको जरूरत होती है
अंधकार की
कुछ देर के लिए ।
हम ख़ुद भी
रक्षा करना चाहते हैं अंधकार की
उस पार देखना भी नहीं चाहते हैं
और
जिनकी दृष्टि
अंधकार के उस पार जाती है
उन्हें हम उल्लू कहते हैं ।
अन्धकार
ReplyDeleteएक शक्तिमान सत्य है
जो चढ़ बैठता है
तपते सूरज के ज्वलंत सीने पर
आहिस्ता आहिस्ता ।
बहुत बढ़िया रचना .
एक अच्छी रचना .
ReplyDeleteरचना तो बहुत बढ़िया है,
ReplyDeleteलेकिन प्रकाश भी एक शक्तिमान सत्य है।
सचमुच हम उल्लू अंधकार के उस पार देखने वालों को उल्लू कहते हैं .
ReplyDeleteबहुत खूब !
वाह!! बहुत बढिया लिखा है।बधाई।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा है ..... थोडा हट के
ReplyDeleteहम ख़ुद भी
ReplyDeleteरक्षा करना चाहते हैं अंधकार की
उस पार देखना भी नहीं चाहते हैं
और
जिनकी दृष्टि
अंधकार के उस पार जाती है
उन्हें हम उल्लू कहते हैं ।
ये लाइन ख़ास पसंद आई
वीनस केसरी
ulluon ko pahchanne ke liye badhaee.log inhe kyon gaali ke roop me use karte hai samajh se pare hai.
ReplyDeletesanjay rai