मेघ : तीन चित्र
साथियों हालाँकि वर्षा नहीं हो रही है । मेघ बरसे न बरसें हर स्थिति में तरसाते हैं । अभी कल ही मेघ आए और ऑफिस से लोटते समय कुछ चित्र खींच गए कि -
उमड़ - घुमड़ कर आते मेघ
ओ मद में मादमाते मेघ ।
तुम बिन सब कुछ सूना है
आस मिलन की लिए हुए
रात चौगुनी-दिन-दूना-है
कसक भरी इस बिरहा में
क्यों मन को भरमाते मेघ ?
उमड़ - घुमड़ कर .....
छूटा घर छूटा चोबारा
छूटे संगी साथी जिन पर
निज- हारा, मन- हारा
पीया मिलन की बेला में
क्यों आंसू बरसाते मेघ ?
उमड़-घुमड़ कर .......
आभावों की लिस्ट बड़ी है
योवन की देहरी पर देखो
अरमानो की लाज खड़ी है
घास-फूस की झोपड़ पर
क्यों मदिरा बरसाते मघ?
उमड़-घुमड़ कर ....
[] राकेश 'सोऽहं'
[] राकेश 'सोऽहं'
तीसरा चित्र सबसे अच्छा है
ReplyDeleteबधाई
अलविदा सावन ,भादों मुबारक
सुस्वागतम!!
ReplyDeleteचित्र तो तीनों बढ़िया हैं,
मगर वर्षा अभी भी रूठी हुई है।
योवन की देहरी पर देखो
ReplyDeleteअरमानो की लाज खड़ी ह
घास-फूस की झोपड़ पर
क्यों मदिरा बरसाते मेघ
.....Umda prastuti...badhai.
बहुत सुन्दर चित्र उकेरा.
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