रुदन
रुदन
एक कला है
और
आंसू एक कलाक्रिति .
कुछ लोग
इस कला के मर्मज्ञ होते हैं
उन्हें
शास्त्रीय रुदन से लेकर
पॅ।प रुदन का
विचित्र अभ्यास होता है .
यदा –कदा
कुछ अंतर्मुखी भी होते हैं
जो
नज़रें बचाकर रोते हैं
इस कला को
आत्मा की भागीरथी से धोते हैं.
किंतु,
’वास्तविक’ कलाकार
गुमनाम नहीं होना चाहते
उन्हें ज्ञान है-
कला का मूल्य होता है,
अतः
अपनी डबडबाई
ढलकती, छ्लकती आंखों के
खारे जल को
‘सहानुभूति‘ की कीमत पर
बेच देते हैं,
फिर
नया स्टॅ।क लाते हैं
और मैं
कलाहीन
उन्हें देखता रहता हूं
बस
आंखों में कुछ लिए हुए.
एक कला है
और
आंसू एक कलाक्रिति .
कुछ लोग
इस कला के मर्मज्ञ होते हैं
उन्हें
शास्त्रीय रुदन से लेकर
पॅ।प रुदन का
विचित्र अभ्यास होता है .
यदा –कदा
कुछ अंतर्मुखी भी होते हैं
जो
नज़रें बचाकर रोते हैं
इस कला को
आत्मा की भागीरथी से धोते हैं.
किंतु,
’वास्तविक’ कलाकार
गुमनाम नहीं होना चाहते
उन्हें ज्ञान है-
कला का मूल्य होता है,
अतः
अपनी डबडबाई
ढलकती, छ्लकती आंखों के
खारे जल को
‘सहानुभूति‘ की कीमत पर
बेच देते हैं,
फिर
नया स्टॅ।क लाते हैं
और मैं
कलाहीन
उन्हें देखता रहता हूं
बस
आंखों में कुछ लिए हुए.
badhiya likha hai aapne
ReplyDeleteबहुत बढ़िया,
ReplyDeleteबधाई।
बहुत बढिया, मगरमच्छी रुदन तो हमने कई नेताओं को करते देखा है.
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteक्या खूब लिखा है भाई
ReplyDeleteसच रुदन एक कला है वरना धारावाहिकों में रोते अभिनेता रोते कैसे ? रोने -रोने में फर्क है !
ReplyDelete"एक
असफल अभिनेत्री का रोना
उसका
अंग प्रदर्शन रोना-रोना !!"
बधाई
[] राकेश 'सोहम'
आप ही क्यों, पूरे देश की जनता देखती रहती है सर!
ReplyDeleteयह सच है कि सारे देश की जनता रोती है किंतु कह तो नहीं पाती !कुछ सबकी, कुछ अपनी कहने का काम तो कवि का ही है प्रभो !
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