शहनाई भी होएगी
रतन
फूलों की महकेगी खुशबू
पुरवाई भी होएगी
तारों की बारातें होंगी
शहनाई भी होएगी
पतझड़ बाद बसंती मौसम
का आना तय है जैसे
दर्द सहा है तो कुछ पल की
रानाई भी होएगी
कोई नहीं आया ऐसा जो
रहा सिकंदर उम्र तलक
इज्जत होगी शोहरत के संग
रुसवाई भी होएगी
तन्हा रहते गुमसुम गुमसुम
पर यह है उम्मीद हमें
कुछ पल होगा साथ तुम्हारा
परछाई भी होएगी
मैंने जाना जीवन-दुनिया
सब कुछ आनी-जानी है
सुख का समंदर भी गुजरेगा
तनहाई भी होएगी
फूलों की महकेगी खुशबू
पुरवाई भी होएगी
तारों की बारातें होंगी
शहनाई भी होएगी
पतझड़ बाद बसंती मौसम
का आना तय है जैसे
दर्द सहा है तो कुछ पल की
रानाई भी होएगी
कोई नहीं आया ऐसा जो
रहा सिकंदर उम्र तलक
इज्जत होगी शोहरत के संग
रुसवाई भी होएगी
तन्हा रहते गुमसुम गुमसुम
पर यह है उम्मीद हमें
कुछ पल होगा साथ तुम्हारा
परछाई भी होएगी
मैंने जाना जीवन-दुनिया
सब कुछ आनी-जानी है
सुख का समंदर भी गुजरेगा
तनहाई भी होएगी
पतझड़ बाद बसंती मौसम
ReplyDeleteका आना तय है जैसे
दर्द सहा है तो कुछ पल की
रानाई भी होएगी
--बहुत बढ़िया..साकारात्मक!!
बहुत बढ़िया...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर विचार...
ReplyDeleteआशावादी संकल्पना...
रतनजी को साधुवाद...
पतझड़ बाद बसंती मौसम
ReplyDeleteका आना तय है जैसे
दर्द सहा है तो कुछ पल की
रानाई भी होएगी..bahut khuub
sakaratmak urja liye hue
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