रंगकर्मी श्री संजय खन्ना का निधन
इयत्ता के ब्लोगर और पाठक मेरे पूर्व के पोस्ट ३१ अगस्त २००९ 'परसाई जन्मोत्सव' को पुनः पढ़े । मैंने उसमें रंग मंडल के कलाकारों द्वारा परसाई की प्रसिद्द कृति ‘इंसपेक्टर मातादीन’ का खूबसूरत मंचन खुले मैदान पर' की सूचना दी थी, जिसमें शहर के रंगकर्मी ने खूबसूरत प्रस्तुति दी थी ।
आज बड़े दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि जबलपुर ही नही देश के युवा रंगकर्मी, निर्देशक, नर्तक एवं कोरियोग्राफ़र श्री संजय खन्ना का गुरुवार को पश्चिम बंगाल में हृदयाघात से निधन हो गया । वे ४३ वर्ष के थे। वे एक समारोह में भाग लेने हुबली गए थे ।
उन्होंने अपनी रंग प्रतिभा को सामजिक विसंगतियों के विरोध के लिए प्रयोग किया । उन्होंने रचना संस्था की स्थापना की । विवेचना और वेवेचना रंगमंडल के साथ कई नाटकों में काम कर अपनी अभिनय दक्षता की स्थापित किया ।
श्री संजय खन्ना लोकनृत्य एवं लोक नर्तकों में फूजन पैदा कर उसे कोरियोग्राफ करने के लिए जाने जाते थे । २५ मई १९९९ में मुंबई चले गए और वहां अपनी गतिविधियाँ जारी रखीं । सासाराम बैंडर, मिटटी की गाड़ी, हुई वे वाही जो राम रची राखा, मोटेराम का सत्याग्रह, इसुरी, भगवत अज्जुकम, दुलारी बाई, भेडिया तंत्र, राजा का बाजा, जंगीराम की हवेली, इंसपेक्टर मातादीन चाँद पर जैसे तमाम नाटकों में काम किया ।
उन्होंने अपनी संस्था रंगटोली बनाई और ख्यातिलब्ध व्यंग्यशिल्पी हरिशंकर परसाई की कृतियों का रोचक मंचन किया । वे परसाई की कृतियों में एसे रच-बस गए थे कि देश के किसी भी कोने में, शहर के किसी भी मंच पर, गाँव की किसी भी गली में या मैदान में समयानुकूल परसाई की करती की प्रस्तुति कर देते थे । श्री खन्ना परसाई की रचनाओं के मंचन के लिए जाने जाते हैं ।
दो वर्ष पूर्व वे मेरे एक प्रकाशित व्यंग्य के साथ मिले और परिचय हुआ । बाद में मेरे व्यंग्यों को भी उनका स्नेह मिला । उनके द्बारा मेरे व्यंग्य की तारीफ़ आज मेरे लिए धरोहर के समान है । गत वर्ष एक विशिष्ठ कार्यक्रम के दौरान श्री संजय खन्ना जी ने मेरे एक व्यंग्य ' टांग अड़ाने का सुख ' का वाचन अपने खूबसूरत रोचक अंदाज़ में किया (ऊपर मेरे साथ चित्र में वाचन करते श्री संजय खन्ना) तो हाल तालियों से गूँज उठा ।
श्री संजय खन्ना जी ड्रामा कॉम्पिटिशन में भाग लेने गए हुए थे वहाँ उन्हें बेस्ट डांसर, बेस्ट एक्टर, स्पेशल जूरी एवं स्क्रीन प्लेयर अवार्ड से नवाजा गया था । समारोह से वापसी के समय उन्हें अचानक सीनें में दर्द हुआ । साथी कलाकार उन्हें नज़दीक के अस्पताल ले गए, लेकिन युवा कलाकार सदा के लिए दुनिया के रंगमंच से विदा हो चुका था ।
अपनी और इयत्ता परिवार की ओर से उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि । ॐ शांतिः ।
आज बड़े दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि जबलपुर ही नही देश के युवा रंगकर्मी, निर्देशक, नर्तक एवं कोरियोग्राफ़र श्री संजय खन्ना का गुरुवार को पश्चिम बंगाल में हृदयाघात से निधन हो गया । वे ४३ वर्ष के थे। वे एक समारोह में भाग लेने हुबली गए थे ।
उन्होंने अपनी रंग प्रतिभा को सामजिक विसंगतियों के विरोध के लिए प्रयोग किया । उन्होंने रचना संस्था की स्थापना की । विवेचना और वेवेचना रंगमंडल के साथ कई नाटकों में काम कर अपनी अभिनय दक्षता की स्थापित किया ।
श्री संजय खन्ना लोकनृत्य एवं लोक नर्तकों में फूजन पैदा कर उसे कोरियोग्राफ करने के लिए जाने जाते थे । २५ मई १९९९ में मुंबई चले गए और वहां अपनी गतिविधियाँ जारी रखीं । सासाराम बैंडर, मिटटी की गाड़ी, हुई वे वाही जो राम रची राखा, मोटेराम का सत्याग्रह, इसुरी, भगवत अज्जुकम, दुलारी बाई, भेडिया तंत्र, राजा का बाजा, जंगीराम की हवेली, इंसपेक्टर मातादीन चाँद पर जैसे तमाम नाटकों में काम किया ।
उन्होंने अपनी संस्था रंगटोली बनाई और ख्यातिलब्ध व्यंग्यशिल्पी हरिशंकर परसाई की कृतियों का रोचक मंचन किया । वे परसाई की कृतियों में एसे रच-बस गए थे कि देश के किसी भी कोने में, शहर के किसी भी मंच पर, गाँव की किसी भी गली में या मैदान में समयानुकूल परसाई की करती की प्रस्तुति कर देते थे । श्री खन्ना परसाई की रचनाओं के मंचन के लिए जाने जाते हैं ।
दो वर्ष पूर्व वे मेरे एक प्रकाशित व्यंग्य के साथ मिले और परिचय हुआ । बाद में मेरे व्यंग्यों को भी उनका स्नेह मिला । उनके द्बारा मेरे व्यंग्य की तारीफ़ आज मेरे लिए धरोहर के समान है । गत वर्ष एक विशिष्ठ कार्यक्रम के दौरान श्री संजय खन्ना जी ने मेरे एक व्यंग्य ' टांग अड़ाने का सुख ' का वाचन अपने खूबसूरत रोचक अंदाज़ में किया (ऊपर मेरे साथ चित्र में वाचन करते श्री संजय खन्ना) तो हाल तालियों से गूँज उठा ।
श्री संजय खन्ना जी ड्रामा कॉम्पिटिशन में भाग लेने गए हुए थे वहाँ उन्हें बेस्ट डांसर, बेस्ट एक्टर, स्पेशल जूरी एवं स्क्रीन प्लेयर अवार्ड से नवाजा गया था । समारोह से वापसी के समय उन्हें अचानक सीनें में दर्द हुआ । साथी कलाकार उन्हें नज़दीक के अस्पताल ले गए, लेकिन युवा कलाकार सदा के लिए दुनिया के रंगमंच से विदा हो चुका था ।
अपनी और इयत्ता परिवार की ओर से उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि । ॐ शांतिः ।
[] राकेश 'सोहम'
श्री संजय खन्ना जी को श्रद्धांजलि ।
ReplyDeleteअच्छे लोग इतनी जल्दी चले क्यों जाते हैं......दुखी कर दिया....अब तो शब्द भी बौने पड़ने लगे हैं....आंख का एक कोर भींग गया है...
ReplyDeleteIshwar sanjay khanna ji ki aatma ko shaanti pradaan karen.
ReplyDeleteसंजय खन्ना जी को श्रद्धांजलि!!
ReplyDeleteश्रद्धांजलि. यह रंगजगत की बड़ी क्षति है.
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