नई शाम
नव वर्ष की शाम में डूबे
कितने युवा जाम में डूबे ।
जो गुंडे हैं गरियाये,
मोटर-साइकिल की शान में डूबे ।
प्रेमियों ने तलाशे कोने,
यौवन की उड़ान में डूबे ।
ढलती शाम का दर्द ढो रहे,
प्रार्थना और अज़ान में डूबे ।
जो बहक गये क़दम उनके,
जवानी के उफ़ान में डूबे ।
पार्टी की छवि सुधारने को,
राजनीति और राम में डूबे
[] राकेश 'सोहम'
नव वर्ष 2010 की हार्दिक-हार्दिक शुभ मंगल कामनाएं.
ReplyDeleteहम जैसे बैल और गधे
ReplyDeleteउस दिन भी काम में डूबे
आपको भी नया साल मुबारक हो
ReplyDeleteजो बहक गये क़दम उनके,
ReplyDeleteजवानी के उफ़ान में डूबे ।
सही है.
नव वर्ष की शुभकामना.
बेहतरीन। लाजवाब। आपको नए साल की मुबारकबाद।
ReplyDeleteइस नये वर्ष में आप हर्षित रहें,
ReplyDeleteख्याति-यश में सदा आप चर्चित रहें।
मन के उपवन में महकें सुगन्धित सुमन,
राष्ट्र के यज्ञ में आप अर्पित रहें।।
bahut khoob.
ReplyDeleteगहन अवलोकन !
ReplyDeleteनए साल में हिन्दी ब्लागिंग का परचम बुलंद हो
ReplyDeleteस्वस्थ २०१० हो
मंगलमय २०१० हो
पर मैं अपना एक एतराज दर्ज कराना चाहती हूँ
सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगर के लिए जो वोटिंग हो रही है ,मैं आपसे पूछना चाहती हूँ की भारतीय लोकतंत्र की तरह ब्लाग्तंत्र की यह पहली प्रक्रिया ही इतनी भ्रष्ट क्यों है ,महिलाओं को ५०%तो छोडिये १०%भी आरक्षण नहीं
फिलहाल तो मैं इस में नहीं हूं.
ReplyDeleteSAHI SAHI..BAHUT SAHI KAHA AAPNE...YAHI TO VASTAVIK STHITI HAI....
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