यात्रा क्षेपक
--हरिशंकर राढ़ी मैं अपनी यात्रा जारी रखता किन्तु न जाने इस बार मेरा सोचा ठीक से चल नहीं रहा है। व्यवधान हैं कि चिपक कर बैठ गए हैं। खैर, मैं कोडाईकैनाल से मदुराई पहुँचूँ और आगे की यात्रा का अनुभव आपसे बांटूं , इस बीच में एक क्षेपक और जुड़ जाता है। इस क्षेपक का अनुभव और अनुभूतियां मुझे उस लम्बी यात्रा को रोककर बीच में ही एक और प्रसंग डालने पर बाध्य कर रही हैं। ऐसा कुछ खास भी नहीं हुआ है। बात इतनी सी है कि इस बार भी गर्मियों में गाँव जाना ही था। दिल्ली से पूर्वी उत्तर प्रदेश की यात्रा , ट्रेन की भीड -भाड , मारा-मारी , भागमभाग और उबालती गर्मी भी इस वार्षिक यात्रा को रोक नहीं पाते। आरक्षण लेने में थोड़ी सी देर हो गर्ई।हालांकि इसे देर मानना ठीक नहीं होगा। अभी भी निश्चित यात्रा तिथि में ढाई माह से ज्यादा का समय था। पता नहीं रेल मंत्रालय को ऐसा क्यों लगता है कि लोग अपने जीवन की सारी यात्राओं की समय सारणी बनाकर बैठे हैं और अग्रिम आरक्षण की समय सीमा तीन माह कर देना लोगों के हित में रहेगा! शायद पूर्व रेलमंत्री श्री लालू प्रसाद यादव का तथाकथित कुशल प्रबंधन यही हो। तीन माह पहले ही ही जनता के ...