हैप्पी मदर्स दे के अवसर पर !
आज के आधुनिक परिवेश में माँ की स्थिति को उकेरती मेरी पसंद की स्वरचित कविता
मैं और वो ?
मुझे एसी में
नींद आती है ,
उसके पास टेबल फेन है
जो आवाज़ करता है ।
मैं ऊंचे दाम के
जूते पहनता हूँ ,
उसके पास
बरसाती चप्पल है ।
मैं हँसता हूँ
वो रो देती है,
मैं रोता हूँ
वो फूट पड़ती है !
मैं, मैं हूँ
वो मेरी माँ है ।
[] राकेश 'सोहम'
मैं और वो ?
मुझे एसी में
नींद आती है ,
उसके पास टेबल फेन है
जो आवाज़ करता है ।
मैं ऊंचे दाम के
जूते पहनता हूँ ,
उसके पास
बरसाती चप्पल है ।
मैं हँसता हूँ
वो रो देती है,
मैं रोता हूँ
वो फूट पड़ती है !
मैं, मैं हूँ
वो मेरी माँ है ।
[] राकेश 'सोहम'
मैं हँसता हूँ
ReplyDeleteवो रो देती है,
मैं रोता हूँ
वो फूट पड़ती है
sabse achchha , kyonki maa ke liye koi shabd bane hi nahin
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
संसार की समस्त माताओं को नमन
ReplyDeleteसुन्दर रचना ..कुछ पंक्तिया लाजवाब ....अच्छा सृजन....बस इसे पढ़कर यही कहूँगा दुनिया की हर माँ को मेरा शत-शत नमन
ReplyDeletehttp://athaah.blogspot.com/
great post :)
ReplyDeleteमदर्स डे के शुभ अवसर पर ...... टाइम मशीन से यात्रा करने के लिए.... इस लिंक पर जाएँ :
http://my2010ideas.blogspot.com/2010/05/blog-post.html
संसार की सभी माताओं को नमन्।
ReplyDeleteआपकी पसन्दीदा कविता मुझे भी पसन्द आयी। साधुवाद।
मां जैसा कोई और नहीं..
ReplyDeleteहृदय छू गयी ।
ReplyDeleteआपकी रचना बहुत बढ़िया है!
ReplyDeleteमातृ-दिवस पर
ममतामयी माँ को प्रणाम तथा कोटि-कोटि नमन!
वो सबकी माँ है.
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत परिभाषा दी आपने ,आज की संतानों की भी और माँ की भी
ReplyDeleteमुबारक हो ....
आपकी रचना बहुत खूबसूरत है!
ReplyDeleteकोई नहीं है..मां जैसा..
लाजवाब ....आपकी रचना हृदय छू गयी ।