कार्टूनिस्ट त्रयम्बक शर्मा : एक मुलाक़ात







वर्ष २००८ में नेशनल लेवल पर पांडिचेरी में 'टेन आउटस्टेंडिंग यंग इंडियन अवार्ड' से अम्मानित प्रसिद्द कार्टूनिस्ट त्रयम्बक शर्मा विगत दिनों जबलपुर आये । वे शहर में भारतीय सुरक्षा संस्थान कि उत्पादन इकाई द्वारा आयोजित कार्टून प्रदर्शनी में हिस्सा लेने आये थे ।

मैं उनसे दोपहर 1.30 मिला । वे स्थानीय पत्रकारों से घिरे बैठे थे । मुझे देखकर ख़ुशी से चहक उठे - 'राकेश जी !' मित्रवत लगभग गले मिलने की मुद्रा में हाथ मिलाया और धीरे से कान में फुफुसाए - मित्र ! सुबह से इन्होने घेर रखा है । ' मैंने अपनी विधा में कहा - आप चीज़ ही ऐसी हैं । वे ज़ोर से हंस पड़े - लो एक और आ गए आपके शहर के व्यंग्यकार ।

और वे फिर कुछ ठन्डे वगैरह का आर्डर देकर इंटरव्यू देने में व्यस्त हो गए । इसी साक्षात्कार से लिए गए कुछ अंश दे रहा हूँ ताकि हमारा इयत्ता परिवार सीसे कार्टूनिस्ट से परिचित हो सके । समस्त चित्र स्थानीय अखबारों से साभार हैं ।

श्री त्रियंबक शर्मा जी एक अखबार में मार्केटिंग executive थे । लेकिन चीजों, ख़बरों और परिस्थितियों पर कटाक्ष करने की आदत ने उन्हें कार्टून बनाने के लिए प्रेरित किया । उनका कहना है कला एक ऐसी विधा है जो इश्वर प्रदत्त होती है । जो निरंतर अभ्यास से निखरती जाती है । उन्होंने कार्टून बनाने के लिए कोई शिक्षा दीक्षा नहीं ली । उन्होंने 1991 में पहली बार एक अखबार के लिए कार्टून बनाने के शुरुआत की थी ।

उन्होंने मेरी तरफ इशारा करते हुए पत्रकारों को कहा - एक व्यंग्यकार अपने शब्दों के माध्यम से कटाक्ष करता है उसी प्रकार एक कार्टूनिस्ट आड़ी-टेढ़ी रेखाओं से कार्टून बनाकर यह काम करता है । ये जब दोनों मिल जाते हैं तो कटाक्ष और भी पैना हो जाता है ।

कार्टून के क्षेत्र में युवा कार्टूनिस्टों को प्लेटफोर्म देने के लिए उन्होंने दिसंबर 1996 से रायपुर में एक अभिनव शुरुआत की । 'कार्टून वाच ' नामक एक मासिक पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया । वे इसके प्रधान सम्पादक हैं। श्री शर्मा ने कार्टूनिस्टों को प्रोत्साहित करने के लिए पत्रिका 'कार्टून वाच' के माध्यम से 2003 में देश के जाने - माने और वरिष्ठ कार्टूनिस्टों के लिए 'लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड' भी शुरू किया । जिसमें अब तक आर के लक्ष्मण, सुधीर तेलंग, आबिद सुरती, प्राण, राजेन्द्र धोरबकर, एच एम् सूदन, सुरेश साबन्त और श्याम जगोतो जैसे जाने-माने कार्टूनिस्टों को सम्मानित किया जा चुका है । श्री शर्मा कहते हैं कि कार्टून के क्षेत्र में यह एक अनूठा प्रयास है ।

उनके कार्टूनों को न केवल भारत के कई स्थानों पर प्रदर्शित किया जा चुका है बल्कि विदेश में भी दो बार उनके कार्टूनों कि प्रदर्शनी लगाईं जा चुकी है । आज उनके पास अति प्राचीन कार्टून्स की मूल प्रतियां उपलब्ध हैं। लन्दन में बने भव्य कार्टून म्यूजियम से प्रभावित होकर और कालातीत हो चुके कार्टूनों को हमेशा जीवित रखने के लिए एक कार्टून म्यूजियम वे बनाना चाहते हैं जिसके प्रयास भी लगभग शुरू हो चुके हैं ।
जब वे अखबारों के लिए कुछ कार्टून बना रहे तब उन्होंने मेरी एक ताज़ी व्यंग्य शृंखला की पांडुलिपि पर सस्नेह कार्टून खींच दिया । फिर मैं विदा हुआ .

कार्टून वाच का सम्पादकीय पता है : Jr. MIG-162, Sec-3, Pt.D.D. U Nagar, Raipur. Email : cartoonwatch@gmail.com. सदस्यता शुल्क वार्षिक - 100/- आजीवन - 2000/-।

[] राकेश 'सोहम'

Comments

Post a Comment

सुस्वागतम!!

Popular posts from this blog

रामेश्वरम में

इति सिद्धम

Most Read Posts

रामेश्वरम में

Bhairo Baba :Azamgarh ke

इति सिद्धम

Maihar Yatra

Azamgarh : History, Culture and People

पेड न्यूज क्या है?

...ये भी कोई तरीका है!

विदेशी विद्वानों के संस्कृत प्रेम की गहन पड़ताल

सीन बाई सीन देखिये फिल्म राब्स ..बिना पर्दे का