भाषाई आत्मा
--हरिशंकर राढ़ी भोजपुरी गानों की चर्चा हुई तो मेरी पिछली पोस्ट पर दो टिप्पणियाँ ऐसी आईं कि यह नई पोस्ट डालने के लिए मुझे विवश होना पड़ा।हालांकि इन टिप्पणियों में विरोधात्मक कुछ भी नहीं है किन्तु मुझे लगता है कि इस पर कुछ और लिखा जाना चाहिए। एक टिप्पणी में रंजना जी ने भोजपुरी गीतों में बढती फूहडता पर चिन्तित नजर आती हैं तो दूसरी टिप्पणी में सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी जी मनोज तिवारी मृदुल का नाम न लिए जाने को शायद मेरी भूल मानते हैं किन्तु वे स्वयं ही उस बात पर आ जाते हैं जिसकी वजह से मैंने उनका नाम नहीं लिया । इसमें संदेह नहीं कि मनोज तिवारी मृदुल आज भोजपुरी के एक बड़े स्टार हैं। अब बड़े स्टार हैं तो बड़ा कलाकार भी मानना ही पड़ेगा । भोजपुरी का उन्होंने काफी प्रचार-प्रसार किया है। भोजपुरी में पॉप संगीत का प्रथम प्रयोग करने वाले वे संभवतः पहले गायक हैं( बगल वाली जान मारेलीं )और बहुत लोकप्रिय भी हैं। मेरी जानकारी के अनुसार उनकी लोकप्रियता का ग्राफ शारदा सिन्हा और भरत शर्मा से कहीं ऊपर है। पर मैं यह बड़े विश्वाश से कह सकता हूँ कि उनके आज के गीतों में भोजपुरी की आत्मा नहीं बसती। एक समय थ...