हरिशंकर राढ़ी को दीपशिखा वक्रोक्ति सम्मान
कहते हैं बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से खाय! अगर आदमी ढंग का हो, तो उसे अपमान भी ढंग का मिलता है, लेकिन जब आदमी ही ढंग का नहीं होगा तो सम्मान भी उसे कोई कहां से ढंग का देगा. पिछले दिनों कुछ ऐसी ही बात भाई हरिशंकर राढ़ी के साथ हुई. ज़िन्दगी भर इनसे-उनसे सबसे रार फैलाते रहे तो कोई पुरस्कार भी उन्हें ढंग का क्यों देने लगा! हाल ही में उन्हें देवनगरी कहे जाने वाले हरिद्वार में एक ऐसे पुरस्कार से नवाजा गया जिसका नाम दीपशिखा वक्रोक्ति सम्मान है. यह सम्मान उन्हें हरिद्वार में दीपशिखा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच,ज्ञानोदय अकादमी के एक आयोजन में दिया गया. आचार्य राधेश्याम सेमवाल की अध्यक्षता में दो सत्रों में हुए इसी आयोजन में शायर जनाब अजय अज्ञात को भी दीपशिखा इकबाल सम्मान से नवाजा गया. आयोजन के दूसरे सत्र में कवि गोष्ठी भी हुई. निर्मला छावनी में हुए इस पूरे कार्यक्रम का संचालन कवि-कहानीकार के एल दिवान ने किया. हरिशंकर राढ़ी का स्वागत दीपशिखा मंच के अध्यक्ष डॉ. शिवचरण विद्यालंकार ने किया. श्री के0 एल0 दिवान ने अपने स्वागत भाषण में हरिशंकर राढ़ी को परसाई परम्परा का समर्थ वाहक बताते हुए कहा क...