मत समझो आजादी गांधी ही लाया था....
मत समझो आजादी गांधी ही लाया था....
बिस्मिल ने भी इसकी खातिर रक्त दिया था...
बंगाली बाबू का भी बलिदान ना कम है...
कितने अश्फाकों ने इसमें वक़्त दिया था...
कली- कली निर्दय माली पर गुस्साई थी,
सच कहता हूँ तब ही आजादी आई थी...
लाखों दीवानों ने गर्दन कटवाई थी
सच कहता हूँ तब ही आजादी आई थी..
(डॉ सारस्वत मोहन मनीषी की कविता का एक अंश )
अच्छा सार है..
ReplyDeleteबढ़िया रचना.
ReplyDeleteलाखों दीवानों ने गर्दन कटवाई थी
ReplyDeleteसच कहता हूँ तब ही आजादी आई थी..
बहुत दमदार बात।
bilkul sahi..
ReplyDeleteबहुत बहुत सही...
ReplyDeleteनामचीन गुमनाम उन सभी शादीहों को सादर नमन !!!