रामेश्वरम में
हरिशंकर राढ़ी दोपहर बाद का समय हमने घूमने के लिए सुरक्षित रखा था और समयानुसार ऑटोरिक्शा से भ्रमण शुरू भी कर दिया। पिछले वृत्तांत में गंधमादन तक का वर्णन मैंने कर भी दिया था। गंधमादन के बाद रामेश्वरम द्वीप पर जो कुछ खास दर्शनीय है उसमें लक्ष्मण तीर्थ और सीताकुंड प्रमुख हैं। सौन्दर्य या भव्यता की दृष्टि से इसमें कुछ खास नहीं है। इनका पौराणिक महत्त्व अवश्य है । कहा जाता है कि रावण का वध करने के पश्चात् जब श्रीराम अयोध्या वापस लौट रहे थे तो उन्होंने सीता जी को रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए, सेतु को दिखाने के लिए और अपने आराध्य भगवान शिव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए पुष्पक विमान को इस द्वीप पर उतारा था और भगवान शिव की पूजा की थी। यहाँ पर श्रीराम,सीताजी और लक्ष्मणजी ने पूजा के लिए विशेष कुंड बनाए और उसके जल से अभिषेक किया । इन्हीं कुंडों का नाम रामतीर्थ, सीताकुंड और लक्ष्मण तीर्थ है । हाँ, यहाँ सफाई और व्यवस्था नहीं मिलती और यह देखकर दुख अवश्य होता है। स्थानीय दर्शनों में हनुमा...
बिल्कुल सही कहा..
ReplyDeleteबस हरामजदगी है -बस कुर्सी से चिपके रहना चाहते हैं नालायक !
ReplyDeletebhai jo log tirnge ki baat kr rhe hen kya voh tirnge ko dil se maante hen kyaa voh tirnge ka dil se smman krte hen jo apna jhndaa dusraa bnaana chahte hen jo apna desh dusraa bnanaa chaahte hen agr voh tirnge ki baat kren to yeh tirnge ka apmaan he yeh log pehle khud ke girebaan mne jhaank len or desh ke qaanun or snvidhaan ki paalnaa men chlenge desh ki adaalton ke aadesh maanege iski khuli ghoshna kren aek kshmir ka laal chok to kiya puraa desh tirnge se sj jaayega kevl or kevl raajniti voh bhi tirnge ke naam pr shrmnaak bhut shrmnaak he . akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeleteदुखद स्थिति है.
ReplyDeleteदबाव झण्डा न फहराने के लिये नहीं, झण्डा फहराने के लिये हो।
ReplyDeleteyurtdışı kargo
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