मेरी पहली सरस्वती वंदना .....
मेरी पहली सरस्वती वंदना --------------------- वर दे, वीणावादिनि वर दे। प्रिय घोटालेबाजी नव, झूठ फरेब मंत्र हर मन में भर दे। काट अंध सच के बंधन स्तर बहा धन के नित नव निर्झर ईमानदारी हर बस घोटाले भर घोटाले ही घोटाले कर दे। चहुँदिश होंवें कलमाडी सर, कंठ कंठ हों घोटाले स्वर राजा हों या प्रजा जी हों सबको घोटालेबाज कर दे।