मेरी पहली सरस्वती वंदना .....


मेरी पहली सरस्वती वंदना
---------------------
वर दे, वीणावादिनि वर दे।
प्रिय घोटालेबाजी नव, झूठ फरेब मंत्र हर मन में भर दे।

काट अंध सच के बंधन स्तर
बहा धन के नित नव निर्झर
ईमानदारी हर बस घोटाले भर
घोटाले ही घोटाले कर दे।
चहुँदिश होंवें कलमाडी सर,
कंठ कंठ हों घोटाले स्वर
राजा हों या प्रजा जी हों
सबको घोटालेबाज कर दे।

Comments

  1. आप किस पार्टी के प्रवक्ता हैं?

    ReplyDelete
  2. सही कहा...पीड़ित व्यथित ह्रदय और क्या कामना करे....

    सटीक सार्थक व्यंग्य...

    ReplyDelete
  3. यह डिपार्टमेंट तो कभी रहा नहीं वीणावादिनी के पास.

    ReplyDelete

Post a Comment

सुस्वागतम!!

Popular posts from this blog

रामेश्वरम में

इति सिद्धम

Most Read Posts

रामेश्वरम में

Bhairo Baba :Azamgarh ke

इति सिद्धम

Maihar Yatra

Azamgarh : History, Culture and People

पेड न्यूज क्या है?

...ये भी कोई तरीका है!

विदेशी विद्वानों के संस्कृत प्रेम की गहन पड़ताल

सीन बाई सीन देखिये फिल्म राब्स ..बिना पर्दे का