जनतवा का जिउ सांसत में है!
अ से अन्ना हज़ारे क से काला धन ग से गंगा
द से दिग्गी राजा
न से निगमानंद
ब से बयानबाजी
भ से भ्रष्टाचार र से रामदेव
भौत रट लिए यार ये सब. इन सबके बीच में
ख से खाना भ से भूख म से महंगाई ब से बढ़ते ब्याज दर
ई सब भी होते हैं. कौनो नामे नईं ले रहा है इनका................ बताओ न, का किया जाए???????????????????????????????????????????????????????????????????????
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द से दिग्गी राजा
न से निगमानंद
ब से बयानबाजी
भ से भ्रष्टाचार र से रामदेव
भौत रट लिए यार ये सब. इन सबके बीच में
ख से खाना भ से भूख म से महंगाई ब से बढ़ते ब्याज दर
ई सब भी होते हैं. कौनो नामे नईं ले रहा है इनका................ बताओ न, का किया जाए???????????????????????????????????????????????????????????????????????
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कुछ नहीं हो सकता.
ReplyDeleteआ से आशा, बस वही सीख रहे हैं।
ReplyDeleteयोग से भ्रष्टाचार मिटाने का समाधान ढूँढना अप्रत्याशित सा लगता है . तथापि इसे आजमाने में कोई बुराई भी नहीं. जब मर्ज़ हद से गुज़र जाता है तो टोने - टोटके तक आजमाने पड़ जाते हैं. इस घोर कलयुग में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए एक बाबा को उतरना पडा ? बाबा रे बाबा ??????????????
ReplyDeleteला से लोभ है लाभुकों को
ReplyDeleteऔर क्ष से क्षोभ बचा है जनता के लिए.....
लेकिन क से करे क्या जनता ,इसके नहीं है सूझ...
इष्ट देव जी की ये रचना अप्रतिम है...बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteनीरज
श्री प्रवीण पाण्डेय जी सही कह रहे हैं.
ReplyDeleteक का कि की कु कू के कै को कौ कं क:…।
ReplyDeleteस से समस्या ग से गम्भीर है।