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Showing posts from October, 2011

Kanya Kumari mein Suryast

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                                         कन्याकुमारी में सूर्यास्त                                                                           -हरिशंकर राढ़ी दोपहर बाद हमने बाकी बची जगहों को देखने का कार्यक्रम बनाया। कन्याकुमारी स्थल जिस देवी के नाम पर जाना जाता है, उस अधिष्ठात्री  देवी कन्याकुमारी का एक विशाल  मंदिर यहाँ बना हुआ है। स्थल का नाम कन्याकुमारी पड़ने के पीछे एक पौराणिक कथा बताई जाती है। कहा जाता है कि कन्याकुमारी पार्वती का ही एक दूसरा रूप है। किसी जन्म में देवी पार्वती ने एक कन्या के रूप में भगवान शिव को पति के रूप में पाने हेतु घोर तपस्या की थी। उस समय बाणासुर का आतंक चहुँओर फैला हुआ था और वह देवताओं के लिए संकट बना हुआ था। ब्रह्मा से प्राप्त वरदान के कारण वह अजेय था और उसका वध किसी कुँआरी कन्या के ही हाथों हो सकता था। यह भी स्पष्ट  ही था कि उस बलशाली  असुर को आदिशक्ति  देवी पार्वती के अतिरिक्त कोई अन्य कुंवारी कन्या नहीं कर सकती थी। इधर पार्वती के तप से भगवान शिव प्रसन्न हो चुके थे और विवाह में अधिक देर नहीं थी। एतदर्थ नारद मुनि को बहुत चिन्ता हुई और उन्होंने देवी पा

Vivekanand Rock Memorial

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                                      विवेकानन्द रॉक मेमोरिअल                                                                  -हरिशंकर राढ़ी       कन्याकुमारी के मुख्य  भूखण्ड से लगभग पाँच सौ मीटर की दूरी पर सागर में स्थित विवेकानन्द स्मारक यहाँ का एक महत्त्वपूर्ण आकर्षण  है। इस स्मारक पर गए बिना कन्याकुमारी की यात्रा व्यर्थ ही मानी जाएगी। यहाँ पहुँचने के लिए तमिलनाडु राज्य के अधीनस्थ पूम्पूहार शिपिंग  कारपोरेशन फेरी सर्विस (नाव सेवा) चलाता है। सेवा प्रातः शुरू होती  है और इसका अन्तिम चक्कर सायं चार बजे लगता है। इसके बाद चट्टान पर जाने हेतु सेवा बंद हो जाती है, उधर से आने के लिए उपलब्ध रहती है।         विवकानन्द रॉक मेमोरिअल दरअसल लगभग उस विन्दु के पास स्थित है जहाँ तीनों सागर मिलते हुए दिखाई देते हैं। वैसे यह बंगाल की खाड़ी में मोती के समान उभरी जुड वाँ चट्टानों में से एक पर स्थित छोटा सा स्मारक है जिस पर कभी भारत के आध्यात्मिक, दार्शनिक , बौद्धिक गुरु एवं आदर्श युवा  संत स्वामी विवेकानन्द ने ध्यान साधना की थी। इस चट्टान को स्मारक का स्वरूप सन १९७० में दिया गया। स्मारक का

Kanyakumari Mein

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                                        कन्या कुमारी में सूर्योदय                                                                                                                                                                       -हरिशंकर राढ़ी                     होटल की बॉलकनी में बैठा रात देर तक शहर  का दृश्य  देखने का आनन्द लेता रहा था। बॉलकनी के ठीक सामने लोकल बस स्टैण्ड था और मैं यह देखकर आश्चर्यमिश्रित सुख लेता रहा कि रात के ग्यारह बजे भी युवतियाँ निश्चिन्त  भाव से अपने गन्तव्य के लिए साधन का इन्तजार कर रही हैं। उनके चेहरे पर न कोई भय न घबराहट! निःसन्देह यह केवल प्रशासन  का परिणाम नहीं होगा। प्रशासन  तो कमोबेश  हर जगह ही है। हम तो देश  की राजधानी दिल्ली में रहते हैं जहाँ समूचे देश  को चलाने के लिए नियम-कानून बनते हैं। बनाने वाले भी यहीं रहते हैं और उनका पालन कराने वाले भी । किन्तु, जब तक पालन करने वाले नहीं होंगे, पालन कराने वाले चाहकर भी कुछ विशेष  नहीं कर सकते हैं। केरल में इसका उल्टा है। कानून बनाने वाले और उनका पालन कराने वाले हों या न, पालन करने वाले खूब हैं। को

Kanyakumari Ke Liye

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                                               कन्या कुमारी की ओर                                                                                                                                                                    -हरिशंकर  राढ़ी        योजनानुसार हमलोग प्रातः छः बजे तक रामेश्वरम बस स्टेशन  पहुँच चुके थे। वहाँ मालूम किया तो कन्याकुमारी के लिए सात बजे बस नियत  थी और वहीं खड़ी थी। बुकिंग खिडकी पर एक सभ्य तमिल उपस्थित था और हमारे साथ बहुत मैत्रीपूर्ण ढंग से बात कर रहा था। उसके अनुसार बस समयानुसार खुल जाएगी और यथासमय कन्याकुमारी पहुँचा देगी। यूँ तो बस बाहर से पुरानी ही लग रही थी परन्तु अन्दर से ठीक-ठाक थी। विशेष  बात यह थी कि यह बस दो गुणा दो थी और पुशबैक  थी, फिर भी प्रति व्यक्ति किराया एक सौ पचास रुपए मात्र! मैंने पहले भी कहा है कि तमिलनाडु सरकार की बसों में किराया काफी कम है। रामेश्वरम से कन्याकुमारी की कुल दूरी तीन सौ किलोमीटर है और यात्रा में लगभग आठ -नौ घंटे लग जाते हैं। कुल मिलाकर मामला बहुत अच्छा था। चाय वगैरह पी रहे थे तब तक एक दूसरी बस आ गई जिसके बोर्ड पर

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