हर बात में कहते हैं वो मुझसे कि तुम्हे क्या ? माली चमन को लूट के खाए तो तुम्हे क्या ? सुनवाई हुई पूरी सज़ा बरकरार है - फांसी पे न हम उसको चढ़ाएं तो तुम्हे क्या? ज़म्हूरियत में चुनना सिर्फ सबका फ़र्ज़ है - रहज़न उम्मीदवार है तो इससे तुम्हे क्या ? दर दर पे सिर झुकाके है सेवा का व्रत लिया- फिर पांच साल हाथ न आयें तो तुम्हे क्या ? मेरे ही बुजुर्गों ने बसाई थीं बस्तियाँ - मैं आग अगर उनको लगाऊं तो तुम्हे क्या ? इस देश का पैसा तो विदेशों में जमा है - इस देश में वापस नहीं लाएं तो तुम्हे क्या ? यह माना पातिव्रत्य तेरा संस्कार है - तेरा पति मेरे साथ सो जाए तो तुम्हे क्या ? मेरा वज़ीरेआज़म तो ईमानदार है- आरोपों की न जांच कराए तो तुम्हे क्या ? विनय ओझा 'स्नेहिल'
रामेश्वरम में
हरिशंकर राढ़ी दोपहर बाद का समय हमने घूमने के लिए सुरक्षित रखा था और समयानुसार ऑटोरिक्शा से भ्रमण शुरू भी कर दिया। पिछले वृत्तांत में गंधमादन तक का वर्णन मैंने कर भी दिया था। गंधमादन के बाद रामेश्वरम द्वीप पर जो कुछ खास दर्शनीय है उसमें लक्ष्मण तीर्थ और सीताकुंड प्रमुख हैं। सौन्दर्य या भव्यता की दृष्टि से इसमें कुछ खास नहीं है। इनका पौराणिक महत्त्व अवश्य है । कहा जाता है कि रावण का वध करने के पश्चात् जब श्रीराम अयोध्या वापस लौट रहे थे तो उन्होंने सीता जी को रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए, सेतु को दिखाने के लिए और अपने आराध्य भगवान शिव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए पुष्पक विमान को इस द्वीप पर उतारा था और भगवान शिव की पूजा की थी। यहाँ पर श्रीराम,सीताजी और लक्ष्मणजी ने पूजा के लिए विशेष कुंड बनाए और उसके जल से अभिषेक किया । इन्हीं कुंडों का नाम रामतीर्थ, सीताकुंड और लक्ष्मण तीर्थ है । हाँ, यहाँ सफाई और व्यवस्था नहीं मिलती और यह देखकर दुख अवश्य होता है। स्थानीय दर्शनों में हनुमा...