हर बात में कहते हैं वो मुझसे कि तुम्हे क्या ?
माली चमन को लूट के खाए तो तुम्हे क्या ?
सुनवाई हुई पूरी सज़ा बरकरार है -
फांसी पे न हम उसको चढ़ाएं तो तुम्हे क्या?
ज़म्हूरियत में चुनना सिर्फ सबका फ़र्ज़ है -
रहज़न उम्मीदवार है तो इससे तुम्हे क्या ?
दर दर पे सिर झुकाके है सेवा का व्रत लिया-
फिर पांच साल हाथ न आयें तो तुम्हे क्या ?
मेरे ही बुजुर्गों ने बसाई थीं बस्तियाँ -
मैं आग अगर उनको लगाऊं तो तुम्हे क्या ?
इस देश का पैसा तो विदेशों में जमा है -
इस देश में वापस नहीं लाएं तो तुम्हे क्या ?
यह माना पातिव्रत्य तेरा संस्कार है -
तेरा पति मेरे साथ सो जाए तो तुम्हे क्या ?
मेरा वज़ीरेआज़म तो ईमानदार है-
आरोपों की न जांच कराए तो तुम्हे क्या ?
विनय ओझा 'स्नेहिल'
माली चमन को लूट के खाए तो तुम्हे क्या ?
सुनवाई हुई पूरी सज़ा बरकरार है -
फांसी पे न हम उसको चढ़ाएं तो तुम्हे क्या?
ज़म्हूरियत में चुनना सिर्फ सबका फ़र्ज़ है -
रहज़न उम्मीदवार है तो इससे तुम्हे क्या ?
दर दर पे सिर झुकाके है सेवा का व्रत लिया-
फिर पांच साल हाथ न आयें तो तुम्हे क्या ?
मेरे ही बुजुर्गों ने बसाई थीं बस्तियाँ -
मैं आग अगर उनको लगाऊं तो तुम्हे क्या ?
इस देश का पैसा तो विदेशों में जमा है -
इस देश में वापस नहीं लाएं तो तुम्हे क्या ?
यह माना पातिव्रत्य तेरा संस्कार है -
तेरा पति मेरे साथ सो जाए तो तुम्हे क्या ?
मेरा वज़ीरेआज़म तो ईमानदार है-
आरोपों की न जांच कराए तो तुम्हे क्या ?
विनय ओझा 'स्नेहिल'
तुम्हारे घर में तुम्हारी ही कमाई का
ReplyDeleteकुछ से कुछ हुआ जाए, तुम्हें क्या?
मेरा बेटा कलावती खोर है ,
ReplyDeleteकहीं और भी जाए तो तुम्हें क्या
तुम तो प्रजा हो ,
हमारी रजा हो .
व्यवस्था के अघोषित नापाक मंसूबों से रूबरू कराती काव्यपंक्तियां दिल को छूने वाली हैं
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