जोगी जी वाह जोगी जी!
इष्ट देव सांकृत्यायन चढ़ते फागुन में हम मूढ़ों को ज्ञान बताने आए खेल धर्म का खेल चुके तो खुलकर जात बचाने आए कबीरा सारारारा........ जोगीरा रारारारा ......... जोगी जी वाह जोगी जी! किसकी कीच, कमल किसका है, किसका रंग किसकी पिचकारी सभी शरीफ़ों की है आपस में गहरी रिश्तेदारी. जांच-फांच की नौटंकी पर धमक जताने आए कबीरा सारारारा जोगीरा रारारारा जोगी जी वाह जोगी जी! दूर बहुत दिखता है उसको जो घर में सुन भी ना पाए इधर जो मौक़ा लहे ज़रा सा लेकर धोकरा दौड़ा आए पंचतत्त की होली में सब दही भुजाने आए कबीरा सारारारा जोगीरा रारारारा जोगी जी वाह जोगी जी! सबने पी है छक कर यारां बादल बरसे भंग गेरुआ बाना भीगा देखो नसों से निकला रंग फागुन में जभी तो वो मल्हार गाने आए कबीरा सारारारा जोगीरा रारारारा जोगी जी वाह जोगी जी!