क्या करेंगे आप?
इष्ट देव सांकृत्यायन
इरादे बुनियाद से ही हिले हैं, क्या करेंगे आप?
झूठो-फ़रेब के ही सिलसिले हैं, क्या करेंगे आप?
झूठो-फ़रेब के ही सिलसिले हैं, क्या करेंगे आप?
इस समुंदर में रत्न तो लाखों पड़े हैं, मगर
जो मिले ख़ैरात में ही मिले हैं, क्या करेंगे आप?
जो मिले ख़ैरात में ही मिले हैं, क्या करेंगे आप?
हमको गुल दिखाकर खार ही कोंचे गए हैं हमेशा
आब उनके बाग में ही खिले हैं, क्या करेंगे आप?
अहा, अहिंसा! शान जिनके होंठों की है शुरू से
ठंडे गोश्त पर वे ही पिले हैं, क्या करेंगे आप?
एक-दो बटनें दबीं और सबके नुमाइंदे हो गए
किसके क्या शिकवे-गिले हैं, क्या करेंगे आप?
वाह, आपने तो चौका दिया।
ReplyDeleteलीजिए थोड़ा झेलिए...
अदालत की रज़ा से आ गया बैलट पे नोटा (NOTA)
सभी नेता कलेजे से हिले हैं, क्या करेंगे आप
रोज बढ़ती है वादों और सौगातों की बारिश
मगर इमकान फिरभी पिलपिले हैं, क्या करेंगे आप
अरे वाह! बहुत बढ़िया सिद्धार्थ जी. इसको भी जोड़ लें क्या?
Delete:-)
जरूर, यह तो जर्र नवाज़ी होगी आपकी।
Deleteज़र्रा नवाज़ी
Deleteबहुत खूब, सन्नाट भाव जगाये हैं।
ReplyDeleteधन्यवाद प्रवीण जी. असल में क्या करें, मन बौराया हुआ है इन दिनों हालात देखके.
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