दुनिया में
इष्ट देव सांकृत्यायन बार बार का आना-जाना दुनिया में इतना बड़ा बना फसाना दुनिया में तुमको लगता है तुम लाए हो लेकिन उड़े है कब से ये परवाना दुनिया में चाह सहेजे सबकी ख़ुशियों की चुप-चुप भटक रहा है एक दीवाना दुनिया में अपनी नज़र में सबसे नीचे गिरा वही बना फिरे जो बड़ा सयाना दुनिया में चादर पूरी नहीं बुनेगी कुछ भी कर लो खटर-पटर ये ताना-बाना दुनिया में धूल हो गए क़िले-महल जाने कितने पूछ रहे तुम ठौर-ठिकाना दुनिया में ईर्ष्या, द्वेष, लोभ, मोह, मद ही शाश्वत हैं क्या बांटें हम नया-पुराना दुनिया में