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Showing posts from November, 2016

खेत नहीं थे तो बुजुर्ग ने छत पर उगा दी फसल, वैज्ञानिक भी हैरान

मुझे श्री भागीरथी बिसई जी के बारे में अपने स्तर से कोई जानकारी नहीं है. फेसबुक पर सतनाम भाई ने एक लिंक साझा किया है, उसी से उपलब्ध जानकारी आप तक पहुँचा रहा हूँ.     -इष्ट देव नई दिल्ली ( 27 नवंबर ): एक 73 वर्षीय किसान किसान भागीरथी बिसई ने अपने घर की छत पर ही धान की खेती की है। दरअसल बिसई के पास खेत नहीं हैं। उन्होंने लीज पर खेत लेने के बजाय खुद ये नया तरीका इजाद कर लिया। खेती में छत गिर न जाए, इसके लिए उन्होंने छत पर रेत और सीमेंट की ढलाई तो कराई, लेकिन लोहे की छड़ के साथ बांस की लकड़ी लगवाई। उनका तर्क है कि बांस जल्दी नहीं सड़ता। बास के कारण सीलन की समस्या दूर हो गई। छत पर मिट्टी की छह इंच परत बिछाई गई है। वह परंपरागत किसान हैं। इस एक्सपेरिमेंट के लिए उन्होंने कोई ट्रेनिंग नहीं ली है। बिसई ने 2004 में एफसीआई से रिटायर होने के बाद 100 वर्गफीट में धान बोया और प्रयोग सफल रहा। फिर उन्होंने घर को दो मंजिला किया। तीन हजार वर्गफीट की छत पर छह इंच मिट्‌टी की परत बिछाई। अब वे तीन हजार वर्गफुट की छत पर ही खेती कर रहे हैं। साल में दो क्विंटल धान दो अलग-अलग किस्मों के साथ ...

MAHRAJGANJ, AZAMGARH

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महराजगंज बाज़ार, आजमगढ़                                        -हरिशंकर राढ़ी  महराजगंज बाज़ार  आजमगढ़ के प्रमुख कस्बों में यह बाजार शामिल है। इसकी प्राचीनता पर कोई प्रश्नचिह्न तो लगाया नहीं जा सकता, किंतु इसकी स्थापना का इतिहास बता पाना दुरूह अवश्य है। ‘आजमगढ़ गजेटियर’ में महराजगंज का जिक्र बहुत कम आता है। दोहरीघाट, मऊ निजामबाद, घोसी और दुर्बाशा आश्रम का उल्लेख कई बार मिला किंतु महराजगंज और भैरोजी का कोई अता-पता नहीं मिलता। इसका अर्थ यही हो सकता है कि महराजगंज अति पिछड़े क्षेत्र में था औरं इसे आजमगढ़ की कंेद्रीय भूमिका में कोई खास जगह नहीं थी। एक कारण और था कि महराजगंज से उत्तर लगभग 12 किमी तक कछार क्षेत्र था जो अति पिछड़ा था। इसलिए जनपद के आर्थिक एवं राजनीतिक परिदृश्य में इस इलाके का महत्त्व नहीं रहा होगा। राजकीय बालिका विद्यालय महराजगंज(भैरोजी)               छाया :  राजनाथ मिश्र यह भी हो सकता है कि वह युग भौतिकतावादी और बाजा...

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