यात्रा वृत्तांत पंचमढ़ी के प्रपात ---हरिशंकर राढ़ी मध्यप्रदेश के विस्तृत मैदानी और पठारी क्षेत्रफल में यदि प्रकृति की सुंदरता निहारनी हो तो पंचमढ़ी के अलावा अन्य कोई विकल्प हो ही नहीं सकता। सतपुड़ा की रानी के नाम से प्रसिद्ध इस पहाड़ी स्थल का अंदाज ही निराला है। न तो किसी मुख्य रेलमार्ग या राजमार्ग पर होने के बावजूद समय-समय पर यहां पहुंचने वाले सैलानियों की बड़ी संख्या से इसकी रमणीयता और लोकप्रियता का अंदाजा लग जाता है। हाँ, एक बार इस पर्वतीय संुदरी के पास पहुंच जाने पर तन-मन की सारी थकान उतर जाती है। सुंदरता में चार चांद तब और लग जाते हैं यदि भ्रमण पावस काल में हो। वस्तुतः पंचमढ़ी घूमने का सर्वोत्तम समय वर्षाऋतु ही है। अगस्त महीने की उमस और दोपहरी की धूप झेलते हुए जब हमारी बस मैदानी इलाका पार कर सतपुड़ा की पहाड़ियों की सर्पीली सड़क पर चढ़ने लगी तो मौसम सुहावना हो आया। रिमझिम बूँदों के बीच हवा की शीतलता और प्र...
रामेश्वरम में
हरिशंकर राढ़ी दोपहर बाद का समय हमने घूमने के लिए सुरक्षित रखा था और समयानुसार ऑटोरिक्शा से भ्रमण शुरू भी कर दिया। पिछले वृत्तांत में गंधमादन तक का वर्णन मैंने कर भी दिया था। गंधमादन के बाद रामेश्वरम द्वीप पर जो कुछ खास दर्शनीय है उसमें लक्ष्मण तीर्थ और सीताकुंड प्रमुख हैं। सौन्दर्य या भव्यता की दृष्टि से इसमें कुछ खास नहीं है। इनका पौराणिक महत्त्व अवश्य है । कहा जाता है कि रावण का वध करने के पश्चात् जब श्रीराम अयोध्या वापस लौट रहे थे तो उन्होंने सीता जी को रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए, सेतु को दिखाने के लिए और अपने आराध्य भगवान शिव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए पुष्पक विमान को इस द्वीप पर उतारा था और भगवान शिव की पूजा की थी। यहाँ पर श्रीराम,सीताजी और लक्ष्मणजी ने पूजा के लिए विशेष कुंड बनाए और उसके जल से अभिषेक किया । इन्हीं कुंडों का नाम रामतीर्थ, सीताकुंड और लक्ष्मण तीर्थ है । हाँ, यहाँ सफाई और व्यवस्था नहीं मिलती और यह देखकर दुख अवश्य होता है। स्थानीय दर्शनों में हनुमा...