Posts

Showing posts from January, 2019

जनहित में जगतु तपोवन सो कियो

इष्ट देव सांकृत्यायन  कहलाने एकत बसत अहि मयूर मृग बाघ। जगतु तपोवन सो कियो दीरघ दाघ निदाघ॥ रीतिकाल के अधिकतर कवियों के बारे में यह आम धारणा है कि उन्होंने जो लिखा राज दरबार के लिए लिखा। बिहारी भी इस धारणा से मुक्त नहीं हैं। यह अलग बात है कि उनके ‘ दोहरे ’ यानी ‘ दोहे ’ हिंदी साहित्य जगत में ‘ नावक के तीर ’ माने जाते हैं , जो ‘ देखन में छोटे लगें ’ लेकिन ‘ घाव करें गंभीर ’ । हालांकि ‘ नावक ’ के तीर को लेकर भी बड़ी भ्रांतियां हैं , लेकिन इस पर फिर कभी। अभी मामला साहित्य का नहीं , राजनीति का है। पता नहीं , कविवर बिहारी का अपने समय की राजनीति से कितना और कैसा संबंध था , पर इतना तो है कि आज की राजनीति पर उनका यह ‘ दोहरा ’ सोलह आने सच साबित होता है। वह कौन सा ‘ दीरघ दाघ निदाघ ’ है जिसके प्रचंड तेज से भाई-भतीजावाद , कुल-गोत्रवाद , जाति-क्षेत्रवाद , भाषा-प्रांतवाद और इन सबसे बढ़कर वोटबैंक आधारित टिकट-मूल्यवाद के पुण्य आलोक से आलोकित आज का राजनीतिक जगतु तपोवन-सा नहीं , बल्कि वाक़ई तपोवन ही हो गया है , इस पर कुछ कहने की ज़रूरत नहीं है। क्षमा चाहता हूँ , लेकिन यह सच है कि श्रीमद्भगवद...

Most Read Posts

रामेश्वरम में

Bhairo Baba :Azamgarh ke

इति सिद्धम

Maihar Yatra

Azamgarh : History, Culture and People

पेड न्यूज क्या है?

...ये भी कोई तरीका है!

विदेशी विद्वानों के संस्कृत प्रेम की गहन पड़ताल

सीन बाई सीन देखिये फिल्म राब्स ..बिना पर्दे का