सवाल 135 करोड़ की आबादी का
इष्ट देव सांकृत्यायन
इस धरती पर ऐसा कोई निर्णय नहीं हो सकता जिसमें कोई चूक न हो. ऐसा कोई क्रियान्वयन भी नहीं. इसके बावजूद मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि भारत सरकार ने सही समय पर सही निर्णय लिया. यह सही समय पर लिए गए सही निर्णय का ही प्रभाव है जो हम अब तक कहर के उस दौर से बचे हुए हैं, जिससे बाक़ी दुनिया गुज़र रही है.
जिस बाढ़ में आपसे बहुत बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं वाले अमेरिका, इंग्लैंड, इटली, फ्रांस... सब बह गए और ऐसे बहे कि अब उनके संभलने की भी गुंजाइश नहीं दिखती... ब्रिटेन की पूरी राजशाही, सऊदी अरब का पूरा शाही खानदान... इटली की सरकार तो हाथ खड़े कर चुकी है... लगभग यही हाल अमेरिका का भी होता दिख रहा है. इस दौर में भी भारत में संक्रमितों की संख्या नियंत्रित है और यह सिर्फ़ और सिर्फ़ समय से किए गए #लॉक_डाउन के फ़ैसले का ही असर है.
जिनकी कुल दौड़ केवल #सत्ता_से_सत्ता तक की ही है, उन्हें यह सफलता और सुरक्षा भारत की नहीं, अकेले मोदी की लगती है. चूँकि उन्होंने जब और जो किया, वह सब केवल सत्ता के लिए किया तो अभी भी वे उससे इतर भाषा में सोच नहीं पा रहे हैं. वे ये बर्दाश्त ही नहीं कर पा रहे हैं कि जिस भारत को उन्होंने हमेशा सबसे कमज़ोर बनाने की कोशिश की, वह इतना मज़बूत कैसे हो गया? वाकई यह उनके बर्दाश्त के बाहर है.
उन्हें यह पता है कि लॉक डाउन को जितनी बार तोड़ा जाएगा, यह उतनी ही बार सरकार और देश के उद्देश्य को उसके लक्ष्य बहुत पीछे धकेल देगा. लॉक डाउन की स्थिति अनंतकाल तक दुनिया का कोई देश बर्दाश्त नहीं कर सकता. इसीलिए #कोविड19 के महान आविष्कार #चीन ने भी यह भस्मासुर पैदा कर देने और अपने #वुहान शहर पर इसका सफल #प्रयोग कर लेने के बाद इसे पहले लंबे समय तक पूरी दुनिया से छिपाने की कोशिश की.
चीन वुहान को जब बताया तब लॉक डाउन नहीं किया. वह तो उसकी औपचारिक घोषणा भर थी. चीन से #कोरोना ख़त्म हो जाने के बाद भी नए केस निकल रहे हैं. यह अलग बात है कि अब उसके बारे में दुनिया ही बता रही है, चीन नहीं. चीन अब भी उसे छिपाने की पूरी कोशिश कर रहा है. लेकिन एक बात साफ़ है. वैसी अफरा-तफरी किसी दूसरे शहर में नहीं मची जैसी वुहान में मची थी. जबकि मामले अभी भी मिल रहे हैं. वुहान के ऊपर उठा #सल्फर_डाई_ऑक्साइड का धुआँ कोई भ्रम नहीं था. कहा जा रहा है कि अब भी वहाँ 2 करोड़ से ज़्यादा मोबाइल स्विच ऑफ आ रहे हैं. इसमें कितना सच है, कोई नहीं जानता. लेकिन यह महामारी चीन के ही दूसरे शहरों में नहीं फैली. बाकी पूरी दुनिया में फैल गई. क्यों?
क्योंकि चीन बाक़ी दुनिया को बिना कुछ बताए वुहान को लॉक डाउन कर चुका था. भला उन दो चिकित्सकों और पत्रकार का जिनने अपनी जान पर खेलकर इसे दुनिया के सामने ला दिया, वरना परिणाम क्या होते... इसकी कल्पना नहीं की जा सकती. लेकिन इस खुलासे के बाद उसे वुहान शहर के लॉक डाउन की घोषणा करनी पड़ी. तब तक वुहान से चीन के दूसरे शहरों का नहीं, लेकिन बाक़ी दुनिया का संपर्क बना रहा. बाक़ी दुनिया तो तब चेती जब उसने केवल एक मेयर की बेवकूफी से चारों खाने चित्त हो चुके #इटली का बेहद बुरा हश्र देख लिया.
इसके बाद तो ईरान, फ्रांस, ग्रीस, स्पेन, यूके, अमेरिका, केनेडा, जर्मनी ... सब जिस तरह धराशायी होते गए, वह सबके सामने है. ऐसे में भी भारत बचा कैसे रह जा रहा है, यह कुछ लोगों के लिए बर्दाश्त से बाहर है. वे यह नहीं सह सकते कि जब बाक़ी दुनिया में हाय-हाय मची हो तब भारत शांति से स्थिति को नियंत्रण में बनाए रख सके. उन्होंने सल्तनत हमेशा के लिए अपने हाथ से जाती दिखने लगी. #मोदी चाहे खुद को गलती से भी हीरो प्रोजेक्ट न करे, पर उन्हें लगने लगा अब उनकी तो गई भैंस पानी में. अगला #चुनाव मोदी इसी पर जीत जाएगा. करें क्या बेचारे! उन्हें चुनाव से इतर कोई और भाषा ही नहीं आती. वे सत्ता के लिए जीते हैं.
इसके लिए उन्होंने पूरे समुदाय को बदनाम करने का रास्ता चुना. इस क्रम में पहले उन्होंने उसके एक कट्टरपंथी धड़े को पकड़ा और फिर उसके बचाव में अपने पालतू बुद्धिजीवियों को लगा दिया. लेकिन बात उससे भी नहीं बनी. तब उन्होंने देश भर उन्होंने आम भारतीय की होम सिकनेस की मानसिकता को पकड़ा. और वही अफवाहें, जिनका प्रयोग वे पहले ही दिल्ली में कर चुके थे, मुंबई में दौड़ा दीं.
मुझे नहीं लगता कि इन अफवाहों के लिए किन्हीं संचार माध्यमों का प्रओग किया गया होगा. इसके विपरीत ये #माउथ_टु_माउथ कैटेगरी वाला काम लगता है. ये अफवाहें अनपढ़ और कुपढ़ तबके में बहुत तेज गति दौड़ती हैं. जाहिर है, यह #असंतुलित_विकास का खमियाजा है. लेकिन यह वक्त उस पर चर्चा का नहीं है. फिर कभी. यह समय तो अफवाहें रोकने का है.
अगर चार बड़े महानगरों में ऐसे ही अफवाहें सफल हो गईं और लॉक डाउन तोड़ कर हजारों की भीड़ बाहर आ गई तो लड़ चुके हम. इसलिए अब चाहे अध्यादेश लाना पड़े, अफवाहें फैलाने के ख़िलाफ़ कड़े कानून का प्रावधान तुरंत होना चाहिए. चाहे जो करना पड़े पर लॉक डाउन तोड़ना और बिना पास के अपनी कॉलोनी से बाहर जाना संज्ञेय अपराध घोषित हो.
सवाल 135 करोड़ की आबादी का है.
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