लिखित पठित समरूप है, दृढ़ता का आधार
नागरी लिपि परिषद के स्थापना दिवस (१७ अगस्त २०२०) पर दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन 'सनेही मंडल' नोएडा एवं नागरिक परिषद के संयुक्त तत्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय नागरी लिपि कवि सम्मेलन का आयोजन गूगल मीट के पटल पर परिषद के पूर्व अध्यक्ष डॉ. परमानंद पांचाल की अध्यक्षता एवं कवि अटल मुरादाबादी के कुशल संचालन में किया गया। परिषद के महासचिव डॉ. हरिसिंह पाल ने सभी आमंत्रित कविगण एवं अतिथियों का स्वागत करते हुए उनका परिचय कराया।
- दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन 'सनेही मंडल' नोएडा एवं नागरिक परिषद के संयुक्त तत्वावधान में गूगल मीट के पटल पर अंतर्राष्ट्रीय नागरी लिपि कवि सम्मेलन का आयोजन
कार्यक्रम में केलिफोर्निया अमेरिका से नागरी लिपि एवं हिंदी की समर्पित सेविका प्रो. नीलू गुप्ता, नारनौल (हरियाणा) से डॉ रामनिवास 'मानव', देहरादून से डॉ दिनेश चमोला, राजस्थान से फतह सिंह लोढ़ा, पुणे से डॉ. शहाबुद्दीन शेख, महाराष्ट्र से डॉ अरुणा राजेंद्र शुक्ला, डॉ. अशोक द्रोपद गायकवाड, मुंबई से डॉ जे पी बघेल, चेन्नई से डॉ. राजलक्ष्मी कृष्णन, प्रयाग से डॉ. अखिलेश आर्येन्दु, रामबिलास जायसवाल, आचार्य रामेश्वर प्रसाद, डिबाई (बुलंदशहर) से डॉ. रजनी सिंह, उज्जैन से महाकवि गंभीरा, नोएडा से विज्ञान व्रत, अटल मुरादाबादी, बाबा कानपुरी, दिल्ली से डॉ. हरिसिंह पाल, आचार्य अनमोल, डॉ. बृजपाल संत, कवयित्री सुषमा शैली, जय जय राम अरुण पाल, राम किशोर उपाध्याय, गाजियाबाद से कवयित्री शैलजा सिंह, ग्रेटर नोएडा से अरुण कुमार पासवान आदि कवियों ने अपने काव्यपाठ से नागरी लिपि की गौरवपूर्ण स्थिति पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के संयोजक हास्य कवि बाबा कानपुरी ने
सरस्वती वंदना से काव्य पाठ का शुभारंभ करते हुए नागरी पर कविता सुनाते हुए कहा-- लिपियों में लिपि एक श्रेष्ठ देवनागरी है, पुष्ट शुष्ट लिपि कहे सकल जहान है! ब्राम्ही से ये उपजी है गुरुता
विशेष, निज देश व विदेश में इसी का गुणगान है।
मंच संचालन करते हुए कवि अटल मुरादाबादी ने
कहा----
व्यवहारिक भी वैज्ञानिक भी, स्वर संकेतों की पालक भी।
पग-पग चलकर संवर्धन से अब मंजिल अपनी पाई है।
देवनागरी कहलाई है॥
डॉ रामनिवास 'मानव' ने एक दोहे के माध्यम से नागरी की महिमा का इस तरह बखान किया---
लिखित पठित समरूप है, दृढ़ता का आधार।
स्वर व्यंजन संयोग से, धरती रूप अपार॥
कवि विज्ञान व्रत ने बताया---
देवनागरी है सरल, सब लिपियों में
श्रेष्ठ।
कोई भी लिपि है नहीं, इसके आगे जेष्ठ है॥
डॉ दिनेश चमोला ने नागरी की काव्यमयी व्याख्या
कुछ इस प्रकार से की----
संयुक्ताक्षर स्वर व्यंजन जितने, सब वैज्ञानिक रूप विभाजित,
प्रतिध्वनि हित लिपि
चिन्ह भिन्न हैं, शब्द प्रथक हित वर्तनी है चिन्हित।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ परमानंद पांचाल ने कहा कि नागरी लिपि ब्राह्मी से उत्पन्न दुनिया की सबसे वैज्ञानिक लिपि है। इसमें हम जैसा लिखते हैं वैसा ही पढ़ते हैं, जैसा बोलते हैं वैसा ही लिखते हैं। अत: यह सबसे सरल और वैज्ञानिक लिपि है। भारत की अनेक भाषाओं ने इसे अपनाया है। अगर अन्य भाषाएं भी इसे अपनी लिप के साथ-साथ अपनाएं तो यह पूरे देश को एक सूत्र में बांधने में सक्षम है।
कार्यक्रम के समापन पर नागरी लिपि परिषद के
महासचिव डॉ. हरि सिंह पाल ने सभी आमंत्रित साहित्यकारों, श्रोताओं के प्रति अपना आभार व्यक्त किया।
[विज्ञप्ति]
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