साहित्यिक कमी को पूरा करेगी अनुस्वार: प्रो. राजेश कुमार
कामिनी मिश्र
इंडिया नेटबुक्स प्रकाशन की नई पत्रिका अनुस्वार
के आवरण का विमोचन करते हुए सुप्रसिद्ध साहित्यकार और समालोचक प्रोफ़ेसर राजेश
कुमार ने कहा कि यह पत्रिका एक बहुत बड़े साहित्यिक वैक्यूम को पूरा करेगी। ऐसा
इसलिए कि इस समय ऐसी स्तरीय पत्रिकाओं की बहुत कमी है जो साहित्य का विकास करते
हुए पाठकों को रुचिपूर्ण और सार्थक साहित्य उपलब्ध करवा सकें। हर्ष का विषय है कि
अनुस्वार पत्रिका रंगारंग पत्रिका होगी जिसमें सभी विधाओं की रोचक और श्रेष्ठ
रचनाएं प्रकाशित होंगी और प्रतिष्ठित साहित्यकारों को स्थान दिया जाएगा।
अनुस्वार पत्रिका के आवरण के लोकार्पण के अवसर पर
साहित्य अकादेमी से सम्मानित साहित्यकार डॉ दिविक रमेश ने अपने संदेश में कहा कि
आज जबकि साहित्य को स्थान देने वाली पत्रिकाएँ बंद हो गई हैं या बंद होने के कगार
पर हैं तथा ऐसे कितने ही समाचार पत्रों के साहित्यिक पृष्ठ शुष्क हो चुके हैं, साहित्यिक पत्रिका 'अनुस्वार ' का साहित्य की
दुनिया में पदार्पण बहुत ही जरूरी और स्वागत के योग्य है।
दिविक जी ने आगे कहा कि हम सब जानते हैं कि
साहित्य की हर विधा में भरपूर और उत्कृष्ट लिखा जा रहा है। पत्रिका रचे जा रहे
साहित्य और पाठक के बीच सशक्त और लगभग स्थायी सेतु की भूमिका निभाती है। अतः
पत्रिका की भूमिका बहुत उत्तरदायित्वपूर्ण होती है। रचनाओं का चयन और उनका
प्रभावशाली प्रकाशन आवश्यक होता है। बहुत बार महत्वपूर्ण रचनाओं की खोज भी करनी
होती है। सम्मान के साथ रचनाओं के लिए अनुरोध भी करना होता है। मुझे पूरा विश्वास
है कि यह पत्रिका अपनी जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी और प्रतिबद्धता के साथ निभाती
जाएगी। मुझे यह भी विश्वास है कि अनुस्वार भले ही योग्य रचनाओं को स्थान देने के
प्रयास में लगी रहेगी लेकिन अपनापा हर रचनाकार को भरसक ढंग से देती रहेगी। मैं
पत्रिका की निरंतर सफलता के लिए पूरे मन से शुभकामनायें देता हूँ। आशा करता हूँ कि
इसे पाठकों का भी व्यापक और भरपूर स्नेह मिलेगा और साहित्य-जगत इस पर गर्व करेगा।
बस परिदृष्य में कुछ पत्रिकाओं वाली खेमेबाजी से जरूर बची रहे।
चर्चित व्यंग्यकार डॉ. लालित्य ललित ने इस मौके
पर कहा कि आज साहित्यिक पत्रिकाएं बहुत तेजी से दम तोड़ती दिख रही है जिसमें
कोरोनाकाल की दुखदाई स्थितियां भी शामिल हैं। ऐसे कठिन समय में इंडिया नेटबुक्स ने
प्रकाशन के क्षेत्र में तेजी से अपनी पहचान अर्जित की है और अब वे पत्रिका लेकर आ
रहे हैं। यह साहित्यिक जगत के लिए किसी सुखद और विस्मित करने वाला समाचार है।
निश्चित ही इस पत्रिका के जरिये सभी विधाओं को समेटा जाएगा व नए प्रकाशनों की
जानकारी भी पाठकों को प्राप्त हो सकेगी।
इस अवसर पर लोकसभा सचिवालय में कार्यरत सम्पादक व
युवा लेखक श्री रणविजय राव ने कहा कि अनुस्वार पत्रिका निश्चित रूप से दम तोड़ती
साहित्यिक पत्रिकाओं का स्थान लेने में सफल रहेगी, इसमें कोई संदेह नहीं है। आज जब समाचार
पत्र-पत्रिकाओं में साहित्य के स्थान सिमटते जा रहे हैं और ऐसे समय में साहित्य
पत्रिका के प्रकाशन का निर्णय स्वागतयोग्य है। साहित्यजगत के लिए यह बड़ी खबर है।
इस अवसर पर मनोरमा इयर बुक के हिंदी सम्पादक
प्रदीप कुमार ने आशा व्यक्त की कि "अनुस्वार" त्रैमासिक पत्रिका आवरण की
तरह ही पत्रिका जगत में विशेष पहचान बनाएगी। इस समय जब कई पत्र पत्रिकाएँ बंद हो
रही हैं तो अनुस्वार का प्रकाशन साहित्य जगत के लिए निसंदेह सुसमाचार है ।
ऑफ्टर ब्रेक अखबार के संपादक मनीष के. सिन्हा ने
कहा कि इस तरह की पत्रिकाओं की आज साहित्य जगत में बहुत जरूरत है। आशा करता हूं कि
यह पत्रिका साहित्य के क्षेत्र में नया आयाम स्थापित करेगी।
प्रवासी संसार पत्रिका के संपादक डॉ. राकेश
पांडेय ने कहा कि इस समय हिंदी पत्रिका जगत पर अनेक अच्छी पत्रिकाओं की आवश्यकता
है क्योंकि अभी हाल में नन्दन,कादिम्बनी जैसी पत्रिकाओं के बन्द होने के कारण साहित्य जगत में एक
रिक्तिता महसूस की जा रही है ऐसे में आशा है कि अनुस्वार पत्रिका इस साहित्यिक
क्षुधा को शांत करने के प्रयास में अवश्य सफल होगी।
इस मौके पर इंडिया नेटबुक्स के निदेशक डॉ संजीव
कुमार ने कहा कि नवरात्रि के पहले दिन इस पत्रिका के आवरण का शुभारंभ करते हुए
हमें बेहद खुशी है कि निश्चित ही पत्रिका पाठकों की पठनीयता को बरकरार रखेगी।
हमारी कोशिश भी रहेगी कि यह पत्रिका और पत्रिकाओं से अलग दिखने का प्रयास करेगी।
इस अवसर पर इंडिया नेटबुक्स के प्रबंधन विभाग की
ओर से डॉ मनोरमा कुमार,कामिनी मिश्र,चित्रकार श्रीमती निर्मला सिंह,
राजेश्वरी मंडोरा,सोनीलक्ष्मी राव भी मौजूद थीं।
बहुत बहुत बधाई। आशा है पत्रिका शीघ्र पढ़ने को मिलेगो।
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