वैज्ञानिक दृष्टिकोण के लिए अपनी भाषा का विकास आवश्यक

नई दिल्ली। वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सीखने की प्रक्रिया के लिए, अपनी भाषा में ज्ञान होना और वैज्ञानिक तथा उचित रूप से अपनी भाषा का विकास करना आवश्यक है। ये विचार केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग के हीरक जयंती समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुए कही। कार्यक्रम के मुख्यह अतिथि माननीय शिक्षा मंत्री श्री 'निशंक' ने उदघाटन करते हुए शब्दावली आयोग परिवार को हीरक जंयती समारोह के उपलक्ष्यर में बधाई एवं शुभकामनाऍं दीं। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग ने 60 साल की अपनी गौरवपूर्ण यात्रा में हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली के निर्माण और विकास में महत्वपूर्ण काम किया है। इस कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए श्री पोखरियाल ने हीरक जयंती समारोह के अवसर पर शब्दावली आयोग परिवार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि 6 दशक की अपनी शानदार यात्रा के दौरान विज्ञानइंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकीकृषि और चिकित्सा विज्ञान सहित विभिन्न विषयों में 9 लाख से अधिक अंग्रेजी शब्दों के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग द्वारा हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में शब्दावली का विकास करना बेहद प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान के भाग 4 में निर्दिष्ट आठवाँ मौलिक कर्तव्य हमें "वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मानवतावाद और सीखने तथा सुधार की भावना को विकसित करने" का निर्देश देता है।

  वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग का हीरक जयंती समारोह

इस अवसर पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति और शब्दावली आयोग दोनों को एक साथ योगदान देना चाहिए ताकि हम भी आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए भाषा और ज्ञान की अभिव्यक्ति में आत्मनिर्भर बन सकें। हमें ज्ञान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसी विभिन्न धाराओं में शब्दों के निर्माण,शब्दावली के प्रसार और आम जनता तक इसकी आसान पहुँच और उपयोग के लिए अत्यंत सतर्कता के साथ काम करने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लागू होने के साथ ही इस दिशा में शब्दावली आयोग का कार्य और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। श्री पोखरियाल ने महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए कहा, "यदि हमारी भाषाओं से हमारा विश्वास उठ गया है, तो यह इस बात का संकेत है कि हमें स्वयं पर कोई भरोसा नहीं है"। राष्ट्रीय शिक्षा नीति से लेकर आयोग के काम तक हम सभी भारतीय भाषाओं के सशक्तीकरण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।

इस कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री श्री संजय धोत्रे भी सम्मान्य अतिथि के रूप में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए। श्री धोत्रे ने भी आयोग द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की और सभी को हीरक जंयती की बधाई दी। साथ ही उन्होंने विज्ञानयांत्रिकीकृषि, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आयोग द्वारा बनाई गई परिभाषा की भी सराहना की। श्री धोत्रे ने कहा कि आयोग सही मायने में अपने कर्तव्यों का पालन कर रहा है और इसका अनुमान आयोग द्वारा बनाई गई शब्दावलियों से लगाया जा सकता है। आयोग की उपलब्धियों से पता चला कि आयोग लगातार सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। यह शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन है। शिक्षा के क्षेत्र में और इसके अनुरूप काम करने के लिए भारतीय भाषाओं के महत्व और भूमिका की व्याख्या करना बहुत महत्वपूर्ण है। वैज्ञानिक एवं तकनीकी विषयों की शब्दावली और विश्वविद्यालय स्तरीय पुस्तकों के निर्माण के साथ, आयोग की जिम्मेदारी और भी अधिक स्पष्ट हो जाती है।

हीरक जयंती समारोह के अवसर पर शिक्षा मंत्री श्री पोखरियाल ने आयोग की विभिन्न पहलों का शुभारंभ किया जिसमें आयोग की हीरक जयंती का लोगो, आयोग की आधिकारिक वेबसाइट, प्रकाशन वेबसाइट, मोबाइल ऐप, हिंदी विज्ञानवाणी यूट्यूब चैनल, हीरकजयंती ई-स्मारिका, शब्दावलियाँ आदि शामिल हैं। लोकार्पण के इस क्रम में शब्दावली आयोग द्वारा वर्तमान में प्रकाशित विज्ञान, मानविकी तथा समाजिक विज्ञान, इंजीनियरी, कृषिविज्ञान एवं आयुर्विज्ञान शब्द-संग्रहों के बीस खंडो का विधिवत् लोकार्पण करते हुए इन बीस खंडो को आयोग की विशेष उपलब्धि बताया तथा आयोग के अधिकारियों को साधुवाद दिया।

इस अवसर पर कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर सच्चिदानंद जोशी और प्रोफेसर योगेंद्र नाथ शर्मा अरुणने भी शुभकामनाएँ देते हुए शब्दावली आयोग द्वारा किए गए सार्थक प्रयासों की सराहना की। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पद्मश्री डॉ. श्याम सिंह शशि ने आयोग के हीरक जयंती समारोह में सभी को बधाई और धन्यवाद देते हुए आयोग तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति में समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया। और इसी के साथ  भारतीय भाषाओं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति और आत्मनिर्भर भारत विषय पर आयोजित होने वाली दो दिवसीय वेबिनार के लिए शुभकामनाएँ भी दीं।

आयोग के अध्यएक्ष प्रोफेसर अवनीश कुमार ने प्रसन्नोता व्यसक्ते करते हुए बताया कि आयोग ने पिछले छह दशकों से अपनी विभिन्ने योजनाओं से आयोग को निरंतर विकसित किया और अपनी विभिन्नो शब्दानवली भंडार से शिक्षा जगत को अनेक विषयों में हिंदी एवं भारतीय भाषाओं में शब्दानवली उपलब्ध‍ करवाई। साथ ही आयोग के समस्त  प्रकाशन को आयोग की प्रकाशन वेबसाइट पर ई-बुक के रूप में उपलब्धस करवा कर जन-जन तक शब्दाोवालियों की पंहुच बढाई है। साथ ही यह भी बताया कि आयोग के कार्यों में अधिक से अधिक प्रौद्योगिकी का प्रयोग किए जाने की आवश्यकता है, जिसके प्रयास किए जा रहें है, आयोग के सभी प्रकाशन ऑनलाइन माध्यम से उपलब्ध कराए गए हैं। इस क्षेत्र में और अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। शब्दावली के विकास के साथ, वैज्ञानिक और तकनीकी पुस्तकों के अनुवाद में प्रौद्योगिकी के माध्यम से कौशल प्राप्त करने की आवश्यकता प्रतीत होती है। वैज्ञानिक तथा तकनीकी पुस्तकों के अनुवाद लिए तकनीकी अनुवाद विधा को विकसित किए जाने की आवश्यकता है। प्रत्येक वैज्ञानिक  एवं तकनीकी विषय के विद्वान् लेखको एवं शिक्षकों से उनके विषय में एवं उनकी अपनी भारतीय भाषा कम से कम एक पुस्तक लिखने अथवा अंग्रेजी से भारतीय भाषाओं में अनुवाद किए जाने का अभियान शुरू किए जाने की भी आवश्यकता है। आवश्यकता आविष्कार की जननी है, हमें भारतीय भाषाओं में पुस्तकों की आवश्यकता बढ़ानी होगी तभी हम ज्ञान विज्ञान एवं नूतन शोध को अपनी भारतीय भाषाओं उपलब्ध करा पाएंगे।

भारतीय भाषाओं के लिए शब्दावली विकसित करने के लिए भारत के राष्ट्रपति ने 27 अप्रैल 1960 को भारत के संविधान के अनुच्छेद 344 के खंड (4) के अनुसार एक समिति की सिफारिश के आधार पर एक स्थायी आयोग के गठन का आदेश दिया। प्रावधानों के तहत 1 अक्टूबर, 1961 को भारत सरकार द्वारा वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग की स्थापना की गई थी। वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग मानक शब्दावली का विकास और उपयोग, वितरण और प्रचार करता है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग के हीरक जयंती समारोह के बाद 01 अक्टूबर, 2020 अपराहन से दो दिवसीय वेबिनार शुरू हुआ। इस दो दिवसीय वेब-गोष्ठी का शीर्षक, भारतीय भाषाएँ, राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं आत्मनिर्भर भारत: संभावनाएँ एवं चुनौतियाँ रखा गया तथा दस तकनीकी सत्रों के माध्यम से शब्दावली आयोग कल आज और कल; राष्ट्रीय शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में शब्दावली आयोग के समक्ष चुनौतियां एवं संभावनाएं; शब्दावली आयोग एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना; भारतीय भाषाओं एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अंतसंबंध: आत्मनिर्भर भारत; भारतीय भाषाएं एवं गांधी दर्शन; भारतीय भाषाओं एवं लिपियों का अंतःसंबंध: विचारणीय बिंदु; वैज्ञानिक साहित्य का अनुवाद एवं तकनीकी अनुवाद: चुनौतियाँ; भारतीय अनुवाद एवं व्याख्या संस्थान में शब्दावली आयोग की भूमिका; हिंदी, हिंदुस्तानी एवं गांधी: भारतीय भाषाओं में गांधी दर्शन एवं राष्ट्र विकास में शब्दवाली आयोग की भूमिका सहित अनेक विषयों पर गहन विचार विमर्श किया गया।

विश्व के ख्याति प्राप्त विद्वानों द्वारा इन विषयों पर विचार प्रस्तुत करते हुए सार्थक विमर्श हुआ तथा विभिन्न विषयों के 60 से अधिक विशेषज्ञ सम्मिलित हुए, जिनमें मुख्य रूप से डॉ भावनाबेन दवे,पूर्व सांसद, श्री  एम नागराजन, आईएएस, अहमदाबाद, प्रो डी एस हुड्डा, पूर्व प्रति कुलपति, कुरुक्षेत्र विवि, प्रो.ए.सी.पाण्डेय, निदेशक आई यू ए सी, नई दिल्ली; डॉ ओम विकास,पूर्व, निदेशक,आई आई आई टी एम,ग्वालियर,प्रो विनोद कुमार शर्मा, पूर्व कुलपति, गुकाविवि, हरिद्वार, प्रो कुलदीप चंद्र अग्निहोत्री, कुलपति,हिमाचल प्रदेश केविवि, प्रो केशरी लाल वर्माकुलपति, रायपुर, प्रो. रमा, प्राचार्य, हंसराज कॉलेज, दिल्ली, प्रो आर एस सर्राजू, हैदराबाद विवि, प्रो रमा भार्गव, आई आई टी, रूडकी, प्रो.विशाल सूद, हिमाचल प्रदेश केविवि, प्रो निर्मला एस मौर्य, कुलपति, जौनपुर विवि, प्रो.जी.सी.शर्मा, पूर्व प्रति कुलपति, आगरा, प्रो एस पी सिंह, बुन्देलखण्ड विवि, झाँसी, डॉ शुभ्रता मिश्र, विज्ञान लेखिका, गोवा, श्री लक्ष्मी नारायण भाला, वरिष्ठ साहित्यकार, नई दिल्ली, डॉ अमित जैन, संपादक चाणक्यवार्ता, नई दिल्ली, डॉ कल्पना पांडेय, नागपुर विवि, डॉ सविता मोहन, पूर्व निदेशक, देहरादून, प्रो.नवीन चंद लोहानी, सीसीएस विवि, मेरठ, डॉ हरी सिंह पाल, नागरी लिपि, नई दिल्ली, श्री मुकेश नोटियाल, वरिष्ठ लेखक, देहरादून, प्रो.मोहन, दिल्ली वि वि, दिल्ली, दिल्ली,डॉ निमिष कपूर, विज्ञान प्रसार, नई दिल्ली, डॉ कुमार विक्रम, एन बी टी, नई दिल्ली, डॉ राकेश बी दूबे, नई दिल्ली, प्रो एम वेंकटेश्वर, हैदराबाद, प्रो के के गोस्वामी, नई दिल्ली, डॉ देवेन्द्र सिंह, सलाहकार, शिक्षा मंत्री; श्री बी एल गौड़, नई दिल्ली, प्रो ऋषभ देव शर्मा, हैदराबाद, प्रो राम देव भरद्वाज, कुलपति, हिंदी विवि भोपाल, प्रो रमेश चंद भारद्वाज, निदेशक गाँधी भवन, दिल्ली, प्रो गोवेर्धन खाडेकर, नागपुर विवि, श्री हितेश शंकर, संपादक, पांचजन्य नई दिल्ली, प्रो गिरीश्वर मिश्र, पूर्व कुलपति, नई दिल्ली, श्री राहुल देव, वरिष्ठ पत्रकार, गुरुग्राम, श्री सुधाकर पाठक, नई दिल्ली, डॉ रेणु सिंह, जनसंचार विभाग म.ग.अ.हिंदी विवि, वर्धा, श्रीमति संतोष खन्ना, नई दिल्ली, डॉ निधि खन्ना, नोएडा, डॉ आनंद भट्ट, निदेशक, ग्रन्थ निर्माण बोर्ड,अहमदाबाद, डॉ दिनेश झा, निदेशक, पटना, श्री सत्यपाल अरोड़ा, श्री एस सी एल शर्मा, श्री उमाकांत खुबालकर, आयोग के पूर्व अधिकारी और अन्य विद्वानों द्वारा आयोग के विभिन्न कार्यकलापों की सराहना की और इसके  कार्यों को अति महत्त्वपूर्ण बतायाI राष्ट्रीय शिक्षा नीति में आयोग के दायित्व को उजागर किया और भविष्य में अपने कार्यों को डिजिटल माध्यम से जन-जन तक पहुँचाने में तकनीक की वृद्धि की कामना कीIसमापन में आयोग के अध्यक्ष, प्रोफेसर अवनीश कुमार  ने अपने संबोधन में कहा कि सभी वक्ताओं के विचारों को संकलन के रूप में प्रकाशित किया जाएगा तथा आयोग द्वारा वर्तमान संदर्भ के अनुसार योजनाओं को और अधिक सशक्त एवं व्यवाहरिक किया जाएगाI सभी वक्ताओं और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए समारोह को सफल बनाने के लिए धन्यवाद दियाI



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