'वागर्थ' में कहानी
भारतीय भाषा परिषद की प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशित होना अच्छा लगता है। 'वागर्थ' के मई, 2024 अंक में मेरी कहानी 'मोड से आगे' आई है। 'वागर्थ' में यह मेरी दूसरी कहानी है, जो स्त्री विमर्श पर केन्द्रित है। इसमें एक नव विवाहिता युवती अपने पति और सास की स्त्री विरोधी, पितृ सत्तात्मक और दहेज लोभी प्रवृत्ति का शिकार होती है और अपना रास्ता खुद चुनती है। कहानी लंबी है और पत्रिका के लगभग 9 पृष्ठों तक चलती है।
यहाँ कहानी का लिंक भी साझा कर रहा हूँ। समय मिले तो पढ़ें और टिप्पणी करें।
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हालत बया करती कहानी
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
ReplyDeleteglassagram
ReplyDeleteallsmo
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