लाल हथेलियाँ (नारी-केंद्रित कहानियाँ) : रामदरश मिश्र संपादन : हरिशंकर राढ़ी शताब्दी साहित्यकार प्रो0 रामदरश मिश्र की नारी-केंद्रित कहानियों का संग्रह ‘लाल हथेलियाँ’ दो दिन पहले प्रकाशित होकर आया है। मिश्र जी के साहित्य पर संपादित यह मेरी तीसरी पुस्तक है। मिश्र जी शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा है; इस अवसर पर उनकी चुनी हुई नारी-केंद्रित कहानियो का संग्रह लाना मेरे लिए गौरव एवं बड़े आत्मसंतोष की बात है। रामदरश मिश्र जैसे उच्चकोटि के इतने सहज साहित्यकार विरले ही होते हैं, इसलिए उनसे एक आत्मीय जुड़ाव चला आ रहा है। आज इस संग्रह का लोकार्पण मिश्र जी के द्वारका आवास पर अत्यंत सादगी से हुआ। वस्तुतः मिश्र जी का स्वास्थ्य बहुत अच्छा नहीं चल रहा है, आजकल हलका बुखार है। संग्रह के प्रकाशन में भी अपेक्षा से कुछ अधिक समय लग गया था। इसलिए संग्रह के लोकार्पण को बड़ा रूप देने के बजाय आत्मीय ढंग से लोकार्पित कर दिया। इस अवसर पर दिल्ली वि0वि0 में अंगरेजी के एसोशिएट प्रोफेसर डॉ वेदमित्र शुक्ल एवं साहित्य सहयात्री, समकालीन अभिव्यक्ति के संपादक उपेंद्र कुमार मिश्र जी उपस्थित थे। इस अंक में समाहित मिश्र जी की ना...
रामेश्वरम में
हरिशंकर राढ़ी दोपहर बाद का समय हमने घूमने के लिए सुरक्षित रखा था और समयानुसार ऑटोरिक्शा से भ्रमण शुरू भी कर दिया। पिछले वृत्तांत में गंधमादन तक का वर्णन मैंने कर भी दिया था। गंधमादन के बाद रामेश्वरम द्वीप पर जो कुछ खास दर्शनीय है उसमें लक्ष्मण तीर्थ और सीताकुंड प्रमुख हैं। सौन्दर्य या भव्यता की दृष्टि से इसमें कुछ खास नहीं है। इनका पौराणिक महत्त्व अवश्य है । कहा जाता है कि रावण का वध करने के पश्चात् जब श्रीराम अयोध्या वापस लौट रहे थे तो उन्होंने सीता जी को रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए, सेतु को दिखाने के लिए और अपने आराध्य भगवान शिव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए पुष्पक विमान को इस द्वीप पर उतारा था और भगवान शिव की पूजा की थी। यहाँ पर श्रीराम,सीताजी और लक्ष्मणजी ने पूजा के लिए विशेष कुंड बनाए और उसके जल से अभिषेक किया । इन्हीं कुंडों का नाम रामतीर्थ, सीताकुंड और लक्ष्मण तीर्थ है । हाँ, यहाँ सफाई और व्यवस्था नहीं मिलती और यह देखकर दुख अवश्य होता है। स्थानीय दर्शनों में हनुमा...